आईपीएस पंकज चौधरी को राजस्थान सरकार ने डिमोट करने का आदेश दिया है. ऐसे में पंकज चौधरी राजस्थान के इतिहास में पहले आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्हें डिमोट कर नए आईपीएस अधिकारी के रैंक पर सीनियरिटी में 10वें नंबर पर कर दिया है.
जानकारी के अनुसार कार्मिक विभाग ने 2009 बैच के इस आईपीएस अधिकारी को तीन साल के लिए वेतनमान श्रृंखला लेवल 11 से लेवल 10 के कनिष्ठ वेतनमान श्रृंखला में डिमोट किया है. लेवल 10 का वेतनमान फ्रेशर आईपीएस को ज्वॉइनिंगे के समय मिलता है.
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इस मामले को लेकर हुई है कार्रवाई
पहले गहलोत सरकार में और फिर वसुंधरा सरकार में नेताओं से टकराने वाले आईपीएस पंकज कुमार चौधरी को उनके पारिवारिक मामले में दोषी मानते हुए राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग ने ये आदेश दिया है. उनपर पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी का आरोप लगाया गया था.
हालांकि, पंकज सिंह कोर्ट से केस जीत गए थे. बावजूद इसके सरकार की तरफ से आदेश जारी किया गया है. मामले में पंकज चौधरी का कहना है कि केंद्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण के 2020, हाईकोर्ट नई दिल्ली के 2021 और सुप्रीम कोर्ट में 2021 में उनके पक्ष में चार साल पहले हीं फैसला हो चुका है.
दबंग और ईमानदार आईपीएस माने जाते हैं पंकज चौधरी
पंकज चौधरी राजस्थान में दबंग और ईमानदार पुलिस अधिकारी माने जाते हैं. गहलोत सरकार के दूसरे कार्यकाल में जैसलमेर एसपी रहते हुए वो कांग्रेस के क़द्दावर नेता गाज़ी फ़क़ीर की हिस्ट्रीशीट खोलकर चर्चा में आए थे. तब सरकार ने फक़ीर परिवार के दबाव में उन्हें एसपी पद से हटा दिया था.
उसके बाद वसुंधरा सरकार आई तो बूंदी में एक दंगे में बीजेपी नेताओं पर कार्रवाई करने से बीजेपी सरकार भी नाराज़ हो गई थी. फिलहाल पंकज चौधरी पुलिस अधीक्षक कॉम्यूनिटी पुलिसिंग के पद पर जयपुर पुलिस मुख्यालय में तैनात हैं.