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यूपी: 890 हेड कांस्टेबलों को डिमोट कर PAC में भेजने पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

इस मामले की जानकारी जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हुई तो उन्होंने इस पर नाराजगी जताई. सीएम ने मुख्यमंत्री ने नाराजगी व्यक्त करते हुए इन जवानों को तत्काल प्रमोशन देने के आदेश दिए थे.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (पीटीआई)
प्रतीकात्मक तस्वीर (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 890 हेड कांस्टेबलों को पदावनत करने का मामला
  • PAC में भेजने पर अदालत ने लगाई रोक
  • एक माह बाद होगी मामले की अगली सुनवाई

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 890 हेड कांस्टेबलों को पदावनत कर पीएसी में भेजे जाने के यूपी सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है. यूपी पुलिस ने 890 हेड कांस्टेबल को पदावनत करने का ये फैसला लिया था. इस फैसले के खिलाफ हेड कांस्टेबल पारस नाथ पाण्डेय समेत सैकडों हेड कांस्टेबलों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. 

याचिका में 9 सितंबर 2020 और 10 सितंबर 2020 को पारित डीआईजी स्थापना, पुलिस  मुख्यालय, उत्तर प्रदेश और अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस मुख्यालय उत्तर प्रदेश के आदेशों को चुनौती दी गई है. इन आदेशों के द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात 890 हेड कांस्टेबलों को पदावनत कर दिया गया है. 

इस फैसले की चपेट में आए हेड कांस्टेबलों ने इस निर्णय की कड़ी निंदा की है और इसे पुलिस विभाग का मनोबल गिराने वाला बताया है और वे अदालत में चले गए हैं. 

इस मामले की जानकारी जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हुई तो उन्होंने भी इस पर नाराजगी जताई थी. सीएम ने मुख्यमंत्री ने नाराजगी व्यक्त करते हुए इन जवानों को तत्काल प्रमोशन देने के आदेश दिए थे.

26 सितंबर को सीएम ने कहा था कि शासन के संज्ञान में लाए बगैर ऐसी कार्रवाई से पलिस बल के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ता है, सीएम ने पुलिस महानिदेश को निर्देश दिया है कि वे सभी हेड कांस्टेबलों को नियमानुसार पदोन्नति सुनिश्चित कराएं. साथ ही बिना शासन की जानकारी के ऐसा आदेश देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी करें. 

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद इससे जुड़े आदेश में संशोधन किया गया. लेकिन सरकार के संशोधित आदेश को याचियों ने नहीं माना. संशोधित आदेश में हेड कांस्टेबलों को पीएसी में ही प्रमोशन दिए जाने की बात कही गई थी. लेकिन प्रभावित हेड कांस्टेबलों ने इसे नहीं माना.  

अब इस मामले राज्य के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने आदेश को फिर से संशोधित करने के लिए अदालत से एक माह का समय मांगा है. अब इस मामले में एक माह बाद अगली सुनवाई होगी.


 

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