सोशल मीडिया और यूट्यूब की चमक-दमक आज बच्चों और युवाओं के सपनों को नई दिशा दे रही है, लेकिन कई बार यही सपने जोखिम भरे फैसलों की वजह भी बन जाते हैं. ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला राजस्थान के अलवर जिले से सामने आया है, जहां गेमिंग यूट्यूबर बनने के जुनून में एक 15 वर्षीय बालक कर्नाटक से अकेले 1700 किलोमीटर का सफर तय कर अलवर पहुंच गया. हालांकि, समय रहते पुलिस की सक्रियता और परिजनों की सजगता से एक बड़ा अनहोनी टल गई और बालक सुरक्षित अपने घर वालों से मिल सका.
मामला अलवर जिले के बानसूर क्षेत्र से जुड़ा है. कर्नाटक का रहने वाला अश्विक (बदला हुआ नाम), जो दसवीं कक्षा का छात्र है, सोशल मीडिया पर गेमिंग यूट्यूब चैनलों से बेहद प्रभावित था. वह खुद भी एक बड़ा गेमिंग यूट्यूबर बनना चाहता था. इसी जुनून में उसने अलवर के एक प्रसिद्ध गेमिंग यूट्यूबर से मिलने की ठान ली. बिना घरवालों को बताए, न किसी को जानकारी दिए, वह घर से निकल पड़ा और लंबा सफर तय कर राजस्थान पहुंच गया. बताया जा रहा है कि अश्विक कई दिनों से उस यूट्यूबर के वीडियो देख रहा था और उनसे संपर्क में भी था. उसे लगने लगा कि अगर वह सीधे उनसे मिल लेगा, तो शायद उसे भी यूट्यूब की दुनिया में पहचान मिल जाएगी. इसी सोच के साथ उसने घर छोड़ने का फैसला कर लिया.
अलवर से घर किया फोन
अलवर बस स्टैंड पहुंचने के बाद अश्विक ने अपने पिता को फोन किया और बताया कि वह अलवर में है. बेटे की आवाज सुनते ही पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई. परिवार को समझ ही नहीं आ रहा था कि उनका बेटा इतनी दूर कैसे पहुंच गया. घबराए परिजनों ने तुरंत कर्नाटक में स्थानीय थाने में बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. मिसिंग रिपोर्ट दर्ज होते ही कर्नाटक पुलिस हरकत में आ गई. तकनीकी सर्विलांस और मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस ने जल्द ही यह पता लगा लिया कि बच्चा राजस्थान के अलवर जिले में मौजूद है. इसके बाद कर्नाटक पुलिस ने अलवर पुलिस से संपर्क साधा और पूरी जानकारी साझा की.
स्थानीय पुलिस ने की लोकेशन ट्रेस
इस पूरे मामले में अलवर की सदर थाना पुलिस की भूमिका अहम रही. सदर थाना प्रभारी अजीत बड़सरा और उनकी टीम ने तुरंत मामले की गंभीरता को समझते हुए सहयोग शुरू किया. स्थानीय पुलिस की मदद से बच्चे की लोकेशन ट्रेस की गई और उसे सुरक्षित हिरासत में लिया गया. इसके बाद कर्नाटक से आई पुलिस टीम के साथ समन्वय कर बच्चे को उसके पिता से मिलवाया गया.
कर्नाटक पुलिस ने दी जानकारी
कर्नाटक पुलिस अधिकारी प्रकाश ने बताया कि उन्हें नाबालिग के लापता होने की सूचना मिली थी. जांच में सामने आया कि बच्चा अलवर में है. अलवर सदर थाना पुलिस ने बेहद सकारात्मक, संवेदनशील और प्रोफेशनल सहयोग दिया. इसी वजह से हम समय रहते बच्चे तक पहुंच सके और उसे सुरक्षित उसके परिजनों को सौंपा.
पिता को देखते ही हो गया भावुक
सदर थाने में जब अश्विक की अपने पिता से मुलाकात हुई, तो माहौल भावुक हो गया. बेटे को सुरक्षित देखकर पिता की आंखों से आंसू छलक पड़े. उन्होंने पुलिस अधिकारियों का आभार जताते हुए कहा कि अगर समय रहते पुलिस सक्रिय न होती, तो पता नहीं क्या हो जाता. पिता ने बेटे को गले लगाकर समझाया और उसे दोबारा ऐसा कदम न उठाने की हिदायत दी.
पुलिस ने की काउंसलिंग
पुलिस की ओर से भी बच्चे को काउंसलिंग दी गई. उसे समझाया गया कि सोशल मीडिया की दुनिया जितनी आकर्षक दिखती है, उतनी ही जोखिम भरी भी हो सकती है. बिना सोचे-समझे किसी अनजान जगह जाना, वह भी अकेले, जानलेवा साबित हो सकता है. पुलिस ने बच्चे को पढ़ाई पर ध्यान देने और अपने सपनों को सही मार्गदर्शन के साथ आगे बढ़ाने की सलाह दी.
माता-पिता से की अपील
इस घटना के बाद परिजनों ने अन्य माता-पिता और बच्चों से भी अपील की है. उनका कहना है कि आज के दौर में सोशल मीडिया बच्चों की सोच और फैसलों पर गहरा असर डाल रहा है. माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के ऑनलाइन व्यवहार पर नजर रखें, उनसे खुलकर बातचीत करें और उनके सपनों को समझें. वहीं, बच्चों को भी यह समझना होगा कि किसी भी लक्ष्य तक पहुंचने का रास्ता सुरक्षित और जिम्मेदारी भरा होना चाहिए. विशेषज्ञों का मानना है कि यूट्यूब और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से बढ़ती लोकप्रियता ने बच्चों में जल्दी नाम कमाने की चाह पैदा कर दी है. लाइक, व्यू और फॉलोअर्स की होड़ में कई बार वे सही-गलत का फर्क भूल जाते हैं. ऐसे में परिवार और स्कूल दोनों की भूमिका और भी अहम हो जाती है.