रूस में रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत के 11 दिन बाद अलवर जिले के कफनवाड़ा गांव के एमबीबीएस छात्र अजीत चौधरी का शव सोमवार सुबह भारत पहुंचा. शव को दिल्ली एयरपोर्ट से सीधे अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल ले जाया गया, जहां मेडिकल बोर्ड ने एक बार फिर पोस्टमार्टम किया. रूस में पहले ही पोस्टमार्टम हो चुका था, लेकिन परिजनों ने उस रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए भारत में दोबारा जांच की मांग की थी.
19 अक्टूबर को लापता हुए थे अजीत चौधरी
अजीत चौधरी पिछले साल अक्टूबर में रूस के उफा क्षेत्र स्थित बाशकिर स्टेट यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गए थे. परिवार ने उनकी पढ़ाई के लिए तीन बीघा जमीन बेचकर पैसे जुटाए थे. 19 अक्टूबर की रात 11 बजे से अजीत लापता थे. अगले दिन रूस पुलिस को नदी किनारे उनका मोबाइल और जैकेट मिला. करीब चार घंटे बाद अजीत के जूते भी बरामद किए गए. 6 नवंबर को उनका शव नदी किनारे मिला, जिसके बाद भारत में परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.

रूस से दिल्ली पहुंचा शव
परिजनों का आरोप है कि भारत सरकार और रूसी प्रशासन से बार-बार संपर्क करने के बावजूद शव भेजने में अत्यधिक देरी हुई. 13 नवंबर को परिजनों के समर्थन में लक्ष्मणगढ़ कस्बा बंद रहा. 14 नवंबर को ग्रामीणों ने महापंचायत कर कड़ी नाराजगी जताई. परिवार द्वारा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी दिया गया. लगातार दबाव और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के हस्तक्षेप के बाद प्रक्रिया तेज हुई, जिसके बाद 17 नवंबर की सुबह लगभग 4 बजे अजीत का शव दिल्ली पहुंच सका.
शव गांव पहुंचते ही हजारों ग्रामीण, प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठनों के लोग उमड़ पड़े. माहौल शोक और आक्रोश से भरा हुआ था. परिवार ने नम आंखों और भारी दिल से अजीत का अंतिम संस्कार किया. उनके पिता, मां और भाई का रो-रोकर बुरा हाल था.
मामले की जांच में जुटी पुलिस
अजीत के भाई ने रूस में पढ़ाई के लिए भेजने वाले एजेंट और कुछ अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही FIR दर्ज कराई जाएगी. परिजनों ने यह भी दावा किया कि रूस से मिली पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसे आत्महत्या बताया गया है, लेकिन अजीत के शरीर पर मिले चोट के निशान किसी बड़े संदेह की ओर इशारा करते हैं.