भूकंप की मार तो लातूर के सीने पर एक झटके में पड़ी थी. लेकिन प्यासे गले का दर्द तो बीते कई सालों से लातूर की नियति बन गई है. यहां बीते चार साल से लगातार सूखा पड़ रहा है. लातूर शहर में पीने का पानी लेने के लिए महिलाओं को कई किलोमीटर तक जाना पड़ता है.
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