जिस राजनीतिक पार्टी की खातिर अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हज़ारे का साथ छोड़ा, उसका ऐलान हो चुका है. अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी का नजरिया बता चुके हैं, लेकिन पार्टी का नाम, निशान और संविधान अभी परदे से बाहर नहीं आया है. लिहाज़ा पार्टी के विरोधी ही नहीं, बल्कि समर्थक भी बेकरार हैं, क्योंकि सबको जिस ऐलान का इंतज़ार था, वो पार्टी अभी बाकी है.