16 दिसंबर को पेशावर में जो कुछ हुआ वो गुजर चुका है, लेकिन जिस गम से पेशावर गुजर रहा है, वो अब उसकी जिंदगी का हिस्सा है. 132 मासूम बच्चों के जनाजों को दुनिया भर में जिन लाखों-करोड़ों आंखों ने देखा वो लगातार आपके सामने है. लेकिन पेशावर कहां है? जो गुजर गया उसे भूल जा, हमारी परवरिश करने वालों ने हम सबको यही सिखाया है. लेकिन क्या सचमुच पेशावर को हम भूल सकते हैं? पेशावर यानी दरवाजे पर खड़ा शहर.