16 दिसंबर की रात से लेकर 29 दिसंबर तक यानी पूरे 13 दिन वो अस्पताल में अपनी सांसों से लड़ती रही और इधर हम सब अपने अंदर लड़ते रहे. उसकी हालत देख हर किसी के अंदर गुस्सा पनपा और अब वो इस दुनिया में नहीं है, सवाल ढ़ेरों हैं. क्या अब कोई और मासूम किसी पागल वहशी का शिकार नहीं होगी? क्या अब हम बस उन्हीं 13 दिनों के गुस्से को याद कर सब कुछ भुला देंगे?