तरक्की करना गुनाह नहीं है. पर वक्त को मात देकर वक्त से भी तेज टक्साली सड़क पर कोई रेहड़ी दौड़ाते हुए गाड़ियों को भी पीछे छोड़ दे तो भंवें तननी लाज़मी है. पौंटी चड्ढा की कहानी बस यही है. एक रेहड़ी पर शराब की दुकान के बाहर नमकीन और चखना बेचते-बेचते वो कब मॉल की ऊंचाई लांघ गया किसी को अहसास ही नहीं हुआ. पेश है गुरदीप सिंह की पौंटी चड्ढा बनने की पूरी कहानी.