पूरे 13 दिन वो अस्पताल में अपनी सांसों से लड़ती रही और हम सब अपने अंदर लड़ते रहे. फिर उसकी रूह ने उस जिस्म को आख़िर छोड़ ही दिया जो उसका सबसे बड़ा दुश्मन था. जिसकी चाहत किसी को दरिंदा बना सकती थी. पर वो हार गई तो क्या हम जीत गये?