ना बैंड, ना बाजा, ना बारात. खुला आसमान. डेढ़ किलोमीटर में फैला पार्क और पार्क में तैयार बैठा दूल्हा. पार्क के एक कोने में सुहागरात की सेज भी सजी थी. बस इंतज़ार था दुल्हन का और दुल्हन 24 घंटे का सफ़र तय कर वहां पहुंचने वाली थी. उसके आते ही चट मंगनी और पट ब्याह भी हो गया और फिर हुई एक अनोखी सुहागरात.