यह कहानी गढ़मुक्तेश्वर के ब्रिज घाट श्मशान की है जहाँ चार लोगों ने असली शव की बजाय प्लास्टिक के पुतले का अंतिम संस्कार करने पहुंचे. इन लोगों का मकसद बीमा कंपनी से पचास लाख रुपये की रकम हासिल करना था. कमल सोमानी ने अपने करीबी दोस्तों के साथ मिलकर इस धोखाधड़ी की साजिश रची और अंशुल नामक युवक के आधार पर बीमा पॉलिसी ली. चोरी-छिपे पुतलों को लेकर श्मशान पहुँचना और फर्जी अंतिम संस्कार करना पुलिस के संदेह का कारण बना.