1947-48 की जंग को शुरू हुए एक साल बीत चुका था, लेकिन इसका अंत अब भी करीब नजर नहीं आ रहा था. इस बीच भारतीय सेना ने ऐसी योजना बनाई कि पुंछ पर रोमांचक जीत हासिल कर ली.