पिछले कई महीनों से देश में एक ही लोकपाल राग है, सड़क से लेकर संसद तक इसी की गूंज है. लेकिन लोकपाल पर जब फैसले की घड़ी आई तो सब ठगे गए. सरकार के मंनसूबे अधूरे रह गए और मजबूत लोकपाल के लिए अन्ना का आंदोलन भी बीच में थम गया. कुल मिलाकर देश के सामने है लोकपाल का एक फ्लॉप शो.