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मैं भाग्य हूं: एक-दूसरे की परेशानी को समझें

मैं भाग्य हूं: एक-दूसरे की परेशानी को समझें

होना या न होना, पाना या खो देना सब विधाता की मर्जी पर निर्भर करता है. लेकिन विधाता भी आपके भाग्य का निर्धारण आपके कर्मों का लेखा-जोखा देखने के बाद ही करता है. इसलिए कर्म सदा उत्तम रखें और विचारों में शुद्धता रखें. ये संसार परेशानियों और मुसीबतों से भरा है, लेकिन लोग यदि एक-दूसरे की परेश‍ानियों को समझें, तो यकीन मानिए जिंदगी बहुत खुशहाल हो जाएगी. जो लोग दूसरों की परेशानियों को नहीं समझते वे एक दिन खुद परेशानी में फंस जाते हैं.

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