भाग्य को हम अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य के लिए जिम्मेदार मानते हैं. लेकिन, सच तो ये है कि भाग्य अपने आप में सबकुछ नहीं है. इंसान के कर्म ही भाग्य को लिखते हैं. इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करें और खुद लिखें अपना भाग्य.