नागरिकता कानून पर जिस तरह की हिंसा देशभर में पिछले एक हफ्ते से देखी गई है और खासतौर पर दिल्ली में जिस तरह से रविवार को जामिया के आसपास के इलाके में और कल सीलमपुर-जाफराबाद के इलाके में दंगे जैसे हालात बने. इससे सवाल उठने लगा है कि क्या भीड़ अपने आप इस तरह से हिंसक हो गई या फिर भीड़ को उकसाने वाले लोग सुनियोजित तरीके से अपने काम में जुटे थे?