कहते हैं कि अगर कोई भक्त सोरों में आधा पहर तप कर ले तो उसे साठ हज़ार सालों की तपस्या का फल मिल जाता है. यही वजह है कि आज भी सोरों में भक्त अपने पितरों का श्राद्ध कर उनके मोक्ष की कामना करना भी नहीं भूलते.