कान्हा की शरारतें बढ़ती जा रही थीं ऐसे में एक दिन नंदबाबा और यशोदा मैया ने एक फैसला लिया जिसने माखनचोर को बना दिया है शांत, गंभीर और 16 कलाओं से परिपूर्ण कृष्ण.