जयकारे से गूंज रहा है मां का दरबार, मां की महिमा में रम गया है भक्तों का तन-मन, शक्ति की भक्ति में लीन हो गए हैं भक्त. नौ दिनों के लिए मां पधारी हैं भक्तों के घर, अपने खजाने का द्वार खोलकर बैठी हैं मां, जिसे जो चाहिए, वो झोली में भर रही हैं भगवती. देवी भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद ही नहीं दे रहीं बल्कि उनके जीवन के कांटों को भी निकाल रही हैं.