संविधान पर संसद की बहस बाबा साहेब आंबेडकर को याद कर खत्म हुई. संसद में दो दिन तक वही शख्स खामोशी से बैठा रह गया जिसने ना सिर्फ आंबेडकर को देखा था बल्कि कई मौकों पर आंबेडकर को बोलते हुए सुना भी था.