विश्वास वो चिड़िया है जो प्रकाश की अनुभूति करती है और तब तब गाती है जब भोर में अंधेरा बना ही रहता है. रवींद्रनाथ ठाकुर की इन पंक्तियों से 21वीं सदी के 21वें साल का पहला बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने आज सुबह 11 बजे पेश किया. कोरोना के संकटकाल में तोहफों की रेवड़ी नहीं बल्कि देश को जान भी और जहान भी वाला बजट देना जरूरी है. 110 मिनट का आज बजट भाषण वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन का रहा, जिसमें शब्दों के हिसाब से किसके लिए क्या कितना आया अहम सवाल है. वित्त मंत्री ने टैक्स से जुड़े शब्दों का इस्तेमाल 48 बार किया. हांलाकि आम आदमी को इनकम टैक्स पर कोई राहत नहीं दी. इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रयोग 29 बार किया है. ट्रांसपोर्ट बोलते हुए 28 बार अपनी बात कही. स्वास्थ्य, हेल्थ शब्द की बात 25 बार की गई. इकॉनमी 25 बार और कोरोना शब्द वित्त मंत्री के बजट भाषण में 16 बार आता है. इनकम यानी आय और प्रधानमंत्री शब्द का प्रयोग भाषण में14-14 बार किया गया. 12 बार एग्रीकल्चर यानी कृषि शब्द का इस्तेमाल किया. किसान 11 बार प्रयोग किया गया. शिक्षा शब्द बजट स्पीच में 12 बार आया. युवा और महिला इन दोनों शब्दों के साथ बजट की बात निर्मला सीतारामन ने 7-7 बार रखी. 34 लाख 83 हजार करोड़ रुपए के बजट में आपको क्या मिला? क्या इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ के बढ़े हुए बजट के सहारे देशवासियों को रोजगार, स्वास्थ्य और विकास का तोहफा मिलेगा. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी आजतक से बातचीत की है. देखें दस्तक, रोहिस सरदाना के साथ.