आज बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने अपने 2007 के दलित-ब्राह्मण फॉर्मूले पर आय़ोजित हो रहे पार्टी के प्रबुद्ध सम्मेलन में हिस्सा लिया. 2019 लोकसभा चुनाव के बाद मायावती पहली बार सार्वजनिक कार्यक्रम के मंच पर गईं. 2019 लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार किसी सार्वजनिक कार्यक्रम के मंच पर आईं बीएसपी प्रमुख मायावती के हाथ में त्रिशूल है. नारा और फॉर्मूला वही 2007 का, जिसने मुख्यमंत्री की कुर्सी तक मायावती को पहुंचाया. 2007 में जब बीएसपी को यूपी में बहुमत मिला था तो तीन वर्ग साथ आए थे- दलित, ब्राह्मण और पिछड़ा वर्ग. जबकि 2007 के बाद देखें तो 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 53 परसेंट ब्राह्मणों ने यूपी में वोट किया. दलित- ब्राह्मण को वोट के चश्मे से खोजकर वोट डलाने के लिए तो तैयारी कर ली गई है. लेकिन सवाल उठता है कि जब यूपी में वायरल फीवर और डेंगू की आपदा में जनता अपने बच्चों को गोदी में टांगकर लाने के लिए लाचार है. तब क्यों नहीं जनता की मदद के लिए हर क्षेत्र में 1000 कार्यकर्ता उतारने का काम पार्टी करती है? क्या जनता को सिर्फ किसी जाति के मतदाता के रूप में ही राजनीतिक दल देख पाते हैं? ज्यादा जानकारी के लिए देखें 10तक.