सुनपेड़ में 20, गोहाना में 22 तारीख को लगभग एक जैसे हालात पैदा होते हैं और इनपर दिल्ली बिलकुल खामोश रहती है. बेहद हैरान करने वाली इस मौत की खामोशी के बीच इन घटनाओं पर आने वाले बयान भी किसी त्रासदी से कम नहीं है.