देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया के एक बयान के बाद लॉकडाउन खुलने का इंतज़ार कर रहे लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई हैं. डॉ गुलेरिया का कहना है कि जिस तरह से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, उससे लगता है कि जून में यानि अगले महीने कोरोना के केसेज अपने चरम पर होंगे. लगातार अलग-अलग शहरों से कोरोना के मरीज़ों के लिए बने क्वारंटीन सेंटर्स के मुंह चिढ़ाने वाले वीडियो आ रहे हैं. कहीं क्वारेंटीन की दीवार फांद कर लोग भाग जा रहे हैं और कहीं पुलिस मोबाइल की लोकेशन का पीछा करते करते, कोरोना पीड़ितों की तलाश कर रही है. राज्य, अगल बगल वाले राज्यों के लिए सीमाएं सील कर रहे हैं. नौकरी की तलाश में घर बार छोड़ कर आने वाले मज़दूर हज़ारों की संख्या में पैदल सड़कों पर चले जा रहे हैं. नौकरी से न निकाले जाने के सरकार के भरोसे के बावजूद, एक के बाद नौकरियां जा रही हैं. तो जून में क्या होगा? सरकार के पास लोगों को देने के लिए वादों के अलावा क्या है? पेट्रोल, डीज़ल में कोरोना का टैक्स तो लग गया है, गरीब आदमी की जेब तक राहत कब पहुंचेगी? दंगल में आज बात इसी पर.