आज एक शब्द की खूब चर्चा हो रही हैं, वो शब्द है हिजाब. सड़कों पर यही शब्द गूंज रहा हैं, संसद में इसी शब्द को लेकर संग्राम छिड़ा है, चुनावी रैलियों में इसी शब्द के सहारे सियासी निशाने साधने की कोशिश की जा रही है. हिजाब की धार्मिक व्याख्या की जा रही हैं, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से लेकर मालेगांव तक हिजाब के पक्ष में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. कई इस्लामी संगठन और सियासी जमात इस मुद्दे को धर्म के चश्मे से देख रही है. दावा यही है कि हिजाब पहनना हक है और इस हक को कोई छीन नहीं सकता, स्कूल-कॉलेज हो या घर हिजाब पहनने से कोई उन्हें रोक नहीं सकता. ये तब है जब हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक हिजाब की लड़ाई पहुंच चुकी है. क्या हिजाब बस एक बहाना है और इसे चुनाव में निशाने के तौर पर देखा जा रहा है? देखें हिजाब पर छिड़ा सियासी संग्राम.