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बिहार चुनाव में महिला वोट निर्णायक हुआ तो नीतीश कुमार भारी पड़ेंगे

बिहार में पिछले कई चुनावों के दौरान महिला वोट को निर्णायक भूमिका निभाते देखा गया है. महिला वोटर को अपने पक्ष में करने की होड़ा इस बार कुछ ज्यादा दिखाई पड़ रही है. जीविका दीदियों के मामले में तेजस्वी यादव के अचानक एक्टिव हो जाने से सियासी मुकाबला तेज हो गया है.

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तेजस्वी यादव भी अब नीतीश कुमार के भरोसेमंद महिला वोट बैंक पर फोकस होने लगे हैं. (Photo: PTI)
तेजस्वी यादव भी अब नीतीश कुमार के भरोसेमंद महिला वोट बैंक पर फोकस होने लगे हैं. (Photo: PTI)

तेजस्वी यादव काफी दिनों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर उनकी योजनाओं की कॉपी करने का आरोप लगाते आ रहे हैं. लेकिन, जीविका दीदियों के मामले में जिस तरह मेहरबान हुए हैं, उसे क्या कहेंगे? नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार अब तक 1.21 करोड़ महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपये डाल चुकी है. 

जीविका दीदियों के मामले में भी तेजस्वी यादव बिहार की एनडीए सरकार पर उनकी योजनाओं का नकल करने का आरोप दोहराते हैं, और भ्रष्टाचार की भी बात करते हैं. तेजस्वी यादव का कहना है कि महिलाओं को 10 हजार रुपये रिश्वत के तौर पर देने का काम किया गया है.

महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित हो चुके तेजस्वी यादव ने सत्ता में आने पर जीविका दीदियों को 30 हजार रुपये महीने की तनख्वाह और स्थाई नियुक्ति देने का वादा किया है. अगर महिला वोट बिहार चुनाव में निर्णायक हुआ तो उसका फायदा किसे मिलेगा - तेजस्वी यादव को या नीतीश कुमार को?

जीविका दीदियों पर तेजस्वी ने जंग क्यों छेड़ी?

तेजस्वी यादव बताते हैं, दौरे के वक्त मुझसे जीविका दीदियों का समूह मिला था, जिनकी बातें सुनकर ये फैसला किया है... अगर मेरी सरकार बनती है, तो जीविका दीदियों में से जो सीएम दीदी हैं, उन्हें स्थाई नियुक्ति दी जाएगी... उनकी नौकरी को भी स्थाई किया जाएगा.

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पहले भी तेजस्वी यादव माई बहन मान योजना के तहत सरकार बनने पर हर महिला को हर महीने 2,500 रुपए देने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे ही युवा संकल्प दृष्टिपत्र के तहत छात्राओं के लिए स्कॉलरशिप और विधवा-बुजुर्ग पेंशन जैसे वादे भी कर चुके हैं, लेकिन अब सबसे ज्यादा जोर जीविका दीदियों के मामले में नजर आ रहा है. 

बिहार सरकार कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना शुरू कर चुकी है, और उसके तहत जीविका दीदियों को स्वरोजगार के लिए 10-10 हजार रुपये की राशि दी गई है. अब तक 1.21 करोड़ महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपये भेजे जा चुके हैं. 

अब नीतीश कुमार को काउंटर करने के लिए तेजस्वी यादव ने अपनी सरकार बनने पर जीविका दीदियों को स्थायी नौकरी और 30 हजार रुपये मासिक वेतन देने का वादा किया है. हाल ही में तेजस्वी यादव ने बिहार के हर परिवार में एक सरकारी नौकरी का वादा भी किया था.

महिला उम्मीदवारों पर दोनों गठबंधनों का जोर

बिहार चुनाव में मुख्य मुकाबला तो एनडीए और महागठबंधन में ही है, लेकिन जन सुराज पार्टी के साथ नए खिलाड़ी प्रशांत किशोर भी खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. प्रशांत किशोर ने शुरू में ही कहा था कि उनकी पार्टी महिलाओं को ज्यादा भागीदारी देगी - और होड़ तो दोनों गठबंधनों में भी देखा जा रहा है. 

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1. आरजेडी ने अपने कोटे की 143 सीटों में कुल 24 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है. बाकी राजनीतिक दलों से तुलना करें तो ये संख्या सभी से ज्यादा है. तेजस्वी यादव बिहार के महिला वोटर से कितनी अपेक्षा है, मकसद तो यही संदेश देना है.  

2. कांग्रेस ने 61 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, और उनमें से 5 महिलाओं को टिकट दिया है.  

3. एनडीए की बात करें तो 243 में से 35 सीटों पर महिलाओं को टिकट दिया गया है. एनडीए में जेडीयू और बीजेपी दोनों 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, और दोनों ही दलों ने 13-13 महिलाओं को मैदान में उतारा है. 

4. एनडीए सहयोगी चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा 35 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, और उनकी पार्टियों ने कुल 6 महिलाओं को टिकट दिया है. टिकट पाने वाली महिलाओं में उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता भी शामिल हैं. 

5. जीतन राम मांझी की पार्टी के हिस्से में 6 सीटें आई हैं, और वहां 2 महिलाओं को टिकट दिया गया है - खास बात ये है कि दोनों महिलाएं परिवार की ही हैं, या रिश्तेदार हैं.

नीतीश कुमार का पलड़ा भारी क्यों?

न्यूज एजेंसी IANS ने इस मुद्दे पर कुछ जीविका दीदियों से बात की है. न्यूज एजेंसी से बातचीत में जीविका समूह से जुड़ी रामवती देवी का कहना है, नीतीश कुमार ने हमारे लिए बहुत काम किया है... तेल, राशन से लेकर समूह की सुविधाएं तक सब कुछ मिल रहा है... जीविका से जुड़ने के बाद आमदनी भी बढ़ी है... और आत्मनिर्भर हुए हैं.

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2020 के चुनाव में महिलाओं का टर्नआउट पुरुषों से ज्यादा दर्ज किया गया था. महिलाओं के 59.7%, और पुरुषों 54.6% वोट पड़े थे - बिहार की महिला वोटर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइलेंट वोटर बता चुके हैं, और अपनी योजनाओं के बूते नीतीश कुमार को भी हर चुनाव में महिलाओं का सपोर्ट मिलता रहा. और, इसकी वजह नीतीश कुमार की महिलाओं पर फोकस योजनाएं हैं, जिनमें शराबबंदी भी शामिल है. 

1. मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना - इस योजना के तहत 9वीं क्लास में एडमिशन लेने वाली छात्राओं को साइकिल के लिए 3 हजार रुपये दिए जाते हैं.
 
2. मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना - सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 और 7 की लड़कियों को एक जोड़ी यूनिफॉर्म देने के रूप में शुरू की गई इस योजना को बाद में क्लास 1 से 12वीं तक की छात्राओं के लिए लागू कर दिया गया.
 
3. मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना - इस योजना के तहत हर तबके की लड़कियों को पैसा दिया जाता है. लड़की के जन्म होने पर एकमुश्त 5 हजार रुपये, 12वीं पास करने पर 10 हजार रुपये और ग्रेजुएशन पर 50 हजार रुपये.

4. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना - गरीब परिवारों की बेटियों की शादी के लिए सरकार एकमुश्त 50,000 रुपये सरकार की तरफ से दिये जाते हैं.

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नीतीश कुमार की योजनाओं के साथ साथ बिहार में महागठबंधन की 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को लेकर हुई अपमानजनक टिप्पणी पर भी काफी बवाल हुआ था. बाद में, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, मैं आरजेडी, कांग्रेस को माफ कर सकता हूं, लेकिन बिहार के लोग मेरी मां का अपमान करने के लिए उन्हें माफ नहीं करेंगे... मेरी दिवंगत मां का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था, तो उनकी क्या गलती थी? उन्हें क्यों गाली दी गई? अब बिहार के हर बेटे का कर्तव्य है कि वो आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन को उनके आचरण के लिए जवाबदेह ठहराए.
 

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