बिहार में SIR का मुद्दा नेक्स्ट लेवल पर पहुंच गया है. अब मालूम हुआ है कि डिप्टी सीएम विजय सिन्हा भी बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की तरह डबल वोटर आईडी वाले हैं. दरअसल, लखीसराय और पटना के बांकीपुर विधानसभा, दोनों जगहों की वोटर लिस्ट में विजय सिन्हा के नाम से EPIC नंबर दर्ज हैं.
SIR को चुनावी मुद्दा बना रहे तेजस्वी यादव को बीजेपी पर हमला बोलने का मौका मिल गया है. तेजस्वी यादव का कहना है, या तो विजय सिन्हा ने दो जगह जाकर साइन किया होगा… या चुनाव आयोग ने फर्जीवाड़ा किया है… या बिहार के डिप्टी सीएम फर्जी हैं.
चुनाव आयोग को निशाने पर लेते हुए तेजस्वी यादव कहते हैं, चुनाव आयोग से हम लोग निष्पक्षता और ट्रांसपेरेंसी की बात कर रहे हैं… तेजस्वी यादव के ऊपर मीडिया ट्रायल हुआ… दिल्ली में बैठकर लोग मुझे जेल भेज रहे थे.
तेजस्वी यादव के मुताबिक, 7 अगस्त की शाम उनको चुनाव आयोग की ओर से नोटिस मिला, और अगले ही दिन तेजस्वी यादव ने अपना जवाब भी दे दिया. तेजस्वी यादव का कहना है कि उनको स्पीड पोस्ट से नोटिस मिला, और वो भी स्पीड पोस्ट से ही जवाब भेज दिये.
लगे हाथ तेजस्वी ने ये भी पूछा था, क्या पटना जिला प्रशासन और लखीसराय जिला प्रशासन डिप्टी सीएम विजय सिन्हा को नोटिस भेजेगा?
वैसे चुनाव आयोग ने विजय सिन्हा को नोटिस भेजा है, और 14 अगस्त, 2025 को शाम पांच बजे तक जवाब भी मांगा है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके. नोटिस में लिखा है, विशेष गहन पुनरीक्षण, 2025 के दौरान प्रकाशित प्रारूप निर्वाचक सूची में आपका नाम दो जगह पाया गया है… पहले भी आपका नाम दोनों जगह अंकित था.
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने प्रेस कांफ्रेंस कर सफाई दी है कि उनकी ओर से कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है, ये महज एक प्रशासनिक त्रुटि है, जिसे सुधारने की कोशिश हो रही है.
विजय सिन्हा पर तेजस्वी यादव के आरोप
तेजस्वी यादव ने विजय सिन्हा पर एक लंबी पोस्ट लिखी है, जिसकी शुरुआत की है, ‘मोदी जी के खासमखास बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री विजय सिन्हा…’ आगे लिखा है, ये दो अलग-अलग जिलों की दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के दो अलग-अलग जगह के मतदाता हैं… लखीसराय जिले के लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से और पटना जिले के बांकीपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से - और अपनी पोस्ट में तेजस्वी यादव ने कुछ सवाल उठाते हुए आरोप भी लगाया है.
1. चुनावी हलफनामे में भी बांकीपुर, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के क्रमांक का ही जिक्र है.
2. ये दो अलग-अलग चरण में आयोजित चुनावों में दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में दो बार मतदान करते हैं.
3. दोनों जगह दो अलग-अलग उम्र है… एक जगह इनकी आयु 57 वर्ष है, तो दूसरी जगह 60 वर्ष है - क्या ये फर्जीवाड़ा और घोटाला नहीं है?
4. दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में दो अलग-अलग गणना प्रपत्र भरे हैं… दोनों जगह अलग-अलग गणना प्रपत्र पर इन्होंने हस्ताक्षर किए है… अर्थात् जानबूझकर दो अलग-अलग जगह दो वोट बनवाए हैं.
5. तेजस्वी यादव का सवाल है, अगर दोनों जगह गणना प्रपत्र पर स्वयं साइन नहीं किए तो क्या चुनाव आयोग ने खुद फर्जी हस्ताक्षर के दम पर दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में दो अलग-अलग वोट बनाया है?
डबल वोटर आईडी पर विजय सिन्हा की सफाई
अपनी सफाई में डिप्टी सीएम विजय सिन्हा का कहना है कि उनकी तरफ से कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है, बल्कि सिर्फ प्रशासनिक त्रुटि है, जिसे सुधारने की कोशिश चल रही है.
1. विजय सिन्हा का कहना है कि उनका परिवार बांकीपुर, पटना की मतदाता सूची में दर्ज था… अप्रैल 2024 में लखीसराय में अपना नाम जोड़ने के लिए उन्होंने आवेदन किया, और उसके साथ ही बांकीपुर से नाम हटाने के लिए भी फॉर्म भरा था. विजय सिन्हा के अनुसार, तकनीकी कारणों से उनका नाम बांकीपुर से नहीं हट सका. SIR के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में दोहरा नाम होने का पता चलने पर फिर से नाम हटाने के लिए आवेदन किया था. वो मीडिया को आवेदन की रसीद दिखा रहे थे.
2. तेजस्वी यादव के ‘आयु घोटाला’ के जवाब में विजय सिन्हा का कहना है कि वो गलती सुधारने के लिए भी आवेदन कर चुके हैं. विजय सिन्हा का कहना है कि ये सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है.
क्या ये सब SIR पर उठते सवालों का जवाब है?
हाल ही में, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की तरफ से INDIA ब्लॉक की डिनर मीटिंग में तेजस्वी यादव ने बिहार में SIR के मुद्दे पर जोरदार मुहिम चलाने की बात कही थी - और तभी विजय सिन्हा की केस स्टडी ने मौका भी दे दिया - अब ये समझना भी जरूरी हो गया है कि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप को जो दौर SIR के बहाने देश भर में चल रहा है - उसकी वजह सिर्फ चुनावी राजनीति ही है, या मामला भी गंभीर है?
1. डबल वोटर आईडी को लेकर अभी तक तेजस्वी यादव ही निशाने पर थे, अब विजय सिन्हा भी सवालों के घेरे में आ गए हैं, लेकिन वो ये भी बता रहे हैं कि जो गड़बड़ी नजर आ रही है, वो पहले से ही उनके संज्ञान में है, और उसे सुधारने की प्रक्रिया भी चल रही है.
2. राहुल गांधी ‘वोटों की चोरी’ का आरोप लगाकर बीजेपी पर हमलावर हैं, और चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. तेजस्वी यादव SIR के बहाने चुनाव आयोग को लपेटे में ले रहे हैं - लेकिन, विजय सिन्हा का मामला तो कई बातें बता रहा है.
3. डबल वोटर आईडी के मामले को देखें तो तेजस्वी यादव और विजय सिन्हा दोनों ही एक मोड़ पर खड़े हो गये हैं. दोनों के मामले में एक ही तरह की गड़बडी सामने आई है - मतलब, वोटर लिस्ट में गड़बड़ी है, और अगर ऐसी गड़बड़ी है तो सुधार भी जरूरी है.
4. निश्चित तौर विजय सिन्हा ने बीजेपी को कुछ देर के लिए बचाव की मुद्रा में ला दिया है, लेकिन ये तो बीजेपी के उस स्टैंड को भी सही ठहरा रहा है, जिसमें वो वोटर लिस्ट की गड़बड़ी सुधारने की पैरवी करती है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का भी यही स्टैंड है.
5. विजय सिन्हा का मामला सामने आने के बाद अब तो ये साफ हो गया है कि SIR की जरूरत क्यों है - और, ये बात तो चुनाव आयोग के पक्ष में जा रही है.