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ट्रंप के ख्वाबों में जो आए... आओ वो अमेरिका तुम्हें बताएं!

ट्रंप कहते हैं, 'I had some beautiful pictures taken in which I had a big smile on my face. I looked happy, I looked content, I looked like a very nice person, which in theory I am.' ट्रंप खुद से इस कदर प्यार करते हैं मानो शीशा देखकर खुद अपने गाल खींच लेते होंगे. ट्रंप अमेरिका को बचाना चाहते हैं. अमेरिकी बचना नहीं चाहते फिर भी ट्रंप कहते हैं कि मैं आपको बचाकर रहूंगा.

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कैसा होगा ट्रंप के सपनों का अमेरिका? (फोटो: AI)
कैसा होगा ट्रंप के सपनों का अमेरिका? (फोटो: AI)

दिल्ली से खबर आई है कि सड़कों पर अब पुरानी गाड़ियों को चलने की इजाजत नहीं होगी. चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा है. पुरानी गाड़ी दिखी नहीं कि धर ली जाएगी. मैसेज साफ है. एक वक्त आने पर पुरानी चीजों को बदल ही देना चाहिए. फिर चाहे वो गाड़ी हो या लोकतंत्र. दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र भी अब काफी पुराना हो चुका था. हर चीज की एक एक्सपायरी डेट होती है. पुरानी चीज है, कब तक चलेगी. आए दिन कुछ न कुछ काम निकल ही आता था. 

अमेरिका में अब वक्त था बदलाव का. लोग चाहते थे कि कोई उनके बीच का आगे आए. वॉशिंगटन में कोई रामलीला मैदान नहीं है, नहीं तो वहां इकट्ठा हुआ जा सकता था. करें तो करें क्या? फिर आया 2015. उस साल दो नेताओं का राजनीतिक जन्म हुआ जो अपने हाथ में MBGA और MAGA की रेखाएं ऊपर से बनवाकर आए थे- एक, तेज प्रताप यादव जो उसी साल पहली बार विधायक बने और दूसरे डोनाल्ड ट्रंप जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था.

वो जुल्फें जो इतनी सुनहरी हैं कि मानों कीड़ों ने बेहद तन्मयता के साथ दिहाड़ी पर रेशम की बुनाई की है. वो आंखें जो कैमरे को देखते ही अठखेलियां करने लगती हैं. वो मुस्कान जो हमें लेकर जाती है एंजेल और डेविल के ठीक बीच खिंची लाइन पर. गले में है एक लाल टाई जो शायद अब देह का ही एक हिस्सा बन चुकी है. इस्त्री किए हुए कपड़े, मंद-मंद चाल, आवेश में फैसले लेने की कुव्वत, गलती करके न मानने की मूल इंसानी स्वभाव, मुकर जाने की अदा, झूठ बोलने का हुनर लेकिन बोलने का हुनर, गंभीरता से कोसों दूर और खुद से मोहब्बत करने वाला 'लस्ट फॉर लाइफ' से भरा व्यक्तित्व, मैंने डोनाल्ड ट्रंप को कुछ ऐसा जाना.

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लाल टोपी पहने ट्रंप अमेरिका को फिर से ग्रेट बनाना चाहते हैं. इसका मतलब अमेरिका पहले ग्रेट रहा होगा. ट्रंप ने यह नारा ओबामा के कार्यकाल की याद में रखा होगा. ट्रंप वो फकीर हैं जिनके पास झोला नहीं है, एक स्टाइलिश ब्रीफकेस है ठीक वैसा जैसा 'डॉन' के पहले सीन में अमिताभ गुंडों की तरफ फेंक देते हैं. और ट्रंप उस ब्रीफकेस को उठाकर कहीं जाने का इरादा नहीं रखते बल्कि वो बाकियों के ब्रीफकेस रखवाना चाहते हैं. 

जैसा अविनाश मिश्र की कविता कहती है, समोसों की तरह ट्रंप की भी आलोचना संभव ही नहीं है. आप किस बात की आलोचना करेंगे. हर वो काम, हर वो बात जो राजनेता पर्दे के पीछे करते और कहते हैं उसे ट्रंप सबके सामने करते हैं. अनफिल्टर्ड, एकदम रॉ. ट्रंप ने कई स्टीरियोटाइप को ध्वस्त किया है. किसी नेता का गंभीर होना क्यों जरूरी है. ट्रंप किसी भी चीज को लेकर कतई सीरियस नहीं हैं और इसमें कोई बुराई नहीं है. अगर खाली वक्त में वो आपको रील सरकाते दिख जाएं तो इसमें हैरान होने जैसा क्या है. यही ट्रंप की अदा है. 

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ट्रंप WWE की रिंग में खड़े होकर कंपनी के मालिक और अपने दोस्त विंस को जलील कर देते हैं. उन्हें मैच का चैलेंज दे देते हैं और सबके सामने उनके बाल काट देते हैं. ट्रंप के राजनीति करने का तरीका भी कुछ ऐसा ही है. इसका मतलब वो सत्ता के लिए या सत्ता में आने के बाद बिल्कुल नहीं बदले. अपने सबसे अच्छे मित्रों से दोस्ती की परीक्षा लेना और उन्हें परेशान करना ट्रंप का मूल स्वभाव है. 

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उन्होंने रातोरात एलॉन की मस्कियत निकाल दी और पीएम मोदी के लिए कुर्सी पीछे खिसकाने के कुछ ही दिन बाद भारत पर टैरिफ लगा दिया. लेकिन ट्रंप के इरादे बेहद नेक हैं. भगवान न करे अगर कभी उनके सारे सपने सच हो गए और अमेरिका फिर से ग्रेट बन गया तो उसका मुकाबला करना असंभव हो जाएगा. एक प्रतिद्वंद्वी देश के रूप में मुझे तो बड़ी ईर्ष्या होती है.

स्कूलों में हमने निबंध लिखे, 'मेरे सपनों का भारत' लेकिन ट्रंप के सपनों का अमेरिका कैसा होगा? बड़े-बड़े देश भारत, चीन, कनाडा अमेरिका को 500-500 पर्सेंट टैरिफ दिए जा रहे हैं. अमेरिका मना कर रहा फिर भी दे रहे हैं. चम्मच से लेकर चड्ढी तक हर प्रोडक्ट पर मेड इन अमेरिका लिखा है. व्हाइट हाउस सुबह-सुबह उठकर रूस के बजाय यूक्रेन के खिलाफ बयान जारी कर रहा- 'तुमको यार इतने हथियार दिए... अब और चाहिए? पुरानी तोपें खराब कर दिए. कुछ दिलाने वाला नहीं है तुमको.' 

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ईरान ने अपना सारा यूरेनियम बोरियों में पैक करके गेट के बाहर इजरायल के लिए रख दिया है. जब से अवैध प्रवासियों, विदेशी छात्र, पासपोर्ट एक्सपायर वाले फॉरेनर्स, गरीब-गुरबे और ट्रांसजेंडर्स को अमेरिका से खदेड़ा गया है, आबादी उन देशों जितनी हो गई है जहां पीएम मोदी से पहले कोई भारतीय प्रधानमंत्री कभी गया ही नहीं. मस्क की सारी कंपनियां अब बंद हो चुकी हैं और वो अफ्रीका जाने की तैयारी में हैं. न हवा में रॉकेट उड़ रहे और न सड़कों पर कारें चल रहीं. अब वो ट्रंप के बिजली के बिल का भी सपोर्ट करते हैं. 

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ममदानी जैसे डेमोक्रेट्स अब जेल में हैं और जेलेंस्की ने सूट पहनना शुरू कर दिया है. दुनिया में अब कहीं 'युद्ध' नहीं हो रहा, हालांकि लड़ाइयां अब भी चल रही हैं लेकिन उनका नाम अब 'सीजफायर उल्लंघन' रख दिया गया है. लोग अपने पारिवारिक झगड़े भी सुलझाने के लिए अब ओवल ऑफिस के बाहर लाइन लगाकर खड़े हैं. व्हाइट हाउस की दीवार पर टंगा है एक नोबेल और बैकग्राउंड में बज रहा है जावेद अख्तर का लिखा ट्रंप का पसंदीदा गीत-

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मुझ में है अजब जादूगरी
की मुझसा चार्मिंग कोई है कहां
क्या करूं है दीवानी मेरी
कहें मुझे डार्लिंग सभी लड़कियां

ट्रंप कहते हैं, 'I had some beautiful pictures taken in which I had a big smile on my face. I looked happy, I looked content, I looked like a very nice person, which in theory I am.' ट्रंप खुद से इस कदर प्यार करते हैं मानो शीशा देखकर खुद अपने गाल खींच लेते होंगे.

ट्रंप अमेरिका को बचाना चाहते हैं. अमेरिकी बचना नहीं चाहते फिर भी ट्रंप कहते हैं कि मैं आपको बचाकर रहूंगा. वो अक्सर खुद की तुलना अब्राहम लिंकन, जॉर्ज वॉशिंगटन और चर्चिल जैसे नेताओं से करते हैं. वो चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियां 'ट्रंप' नाम के ब्रांड को याद रखें.

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ट्रंप एक अवस्था का नाम है. एक व्यक्ति का ट्रंप हो जाना अपने साथ कई खतरे लेकर आता है. नेता एक दिन एक बयान देते हैं और अगले दिन उससे पलट जाते हैं लेकिन यह स्वीकार करना कि 'हां मैंने वो कहा था और अब मैं बयान बदल रहा हूं', किसी नेता को ट्रंप बनाता है. लेकिन इसकी एक कीमत है. ट्रंप के मित्रों की दुनिया रिक्त है. निर्वात से भरी. उसमें कोई बहुत देर नहीं टिकता. मस्क और मोदी जैसे दोस्त भी ट्रंप की ट्रंपियत की वजह से उनसे दूरी बना लेते हैं लेकिन इसके बावजूद ट्रंप, ट्रंप रहते हैं.

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