पहलगाम अटैक और ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही बहस राष्ट्रवाद से राजनीति की तरफ बढ़ने लगी है. ये ऐसा मसला है जिसमें बीजेपी को सत्ता में होने का स्वाभाविक फायदा मिल जाता है, और विपक्ष में होने के कारण कांग्रेस का धैर्य टूटने लगता है. पहले सरकार के हर फैसले के साथ बने रहने का वादा करने वाली कांग्रेस अब केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमलावर होने लगी है.
ऑपरेशन सिंदूर के पहले और बाद में हुई दोनों सर्वदलीय बैठकों में राहुल गांधी और मल्लिकार्जन खड़गे सहित सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने देश के लिए सरकार को हर कदम पर साथ देने का भरोसा दिलाया था. हालांकि, विपक्ष को इस बात पर बहुत आपत्ति थी कि किसी भी मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं पहुंचे. सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी.
पहलगाम हमले के कुछ दिन बाद बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों और उनके आकाओं को मिट्टी में मिला देने का देश को भरोसा दिलाया था. और, हमले के महीना भर होने पर 22 मई को राजस्थान फिर से दोहराया, और इशारों इशारों में पाकिस्तान को चेतावनी के साथ नसीहत भी दी कि वो हरकतों से बाज आये.
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर खोखला भाषण देने का आरोप लगाया है - और कई सवाल भी पूछे हैं. मोदी से राहुल गांधी का सबसे बड़ा सवाल है, ये बताइए कि आतंकवाद पर आपने पाकिस्तान की बात पर भरोसा क्यों किया?
राहुल गांधी का ये सवाल सीजफायर को लेकर है. राहुल गांधी का आरोप है कि सरकार अमेरिका के दबाव में झुक गई है, और उसके बाद ही ऑपरेशन सिंदूर की मिल रही सफलता को रोककर सीजफायर पर समझौता कर लिया है. राहुल गांधी के ताजा सवालों ने 2020 के गलवान घाटी में सेना के जवानों के चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष की याद दिला दी है - क्या राहुल गांधी ने फिर से वैसी ही पॉलिटिकल लाइन पकड़ ली है?
मोदी के भाषण पर राहुल गांधी के सवाल
बीकानेर की सार्वजनिक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वही पुराना अंदाज दिखा, जिसमें एक बार कहा था, ' ... 56 इंच का सीना चाहिये. और तभी से ये बात बीजेपी नेताओं की तरफ से दोहराई जाती रही है, जिस लेकर विपक्षी दलों के नेता कई मौकों पर कटाक्ष भी करते रहे हैं.
बीकानेर की सभा में प्रधानमंत्री मोदी कह रहे थे, मोदी का दिमाग ठंडा है लेकिन मेरे अंदर लहू गर्म बहता है... मोदी की नसों में गर्म सिंदूर बह रहा है... 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले का बदला सेना ने 22 मिनट में लिया... पाकिस्तान और आतंकियों ने देख लिया कि जब सिंदूर बारूद बन जाता है तो क्या होता है... जो सिंदूर मिटाने निकले थे उन्हें मिट्टी में मिलाया गया है.
अव्वल तो विपक्षी दल होने के नाते सरकार को कठघरे में खड़ा करना कांग्रेस का हक भी है, लेकिन उसे बड़े बड़े पोस्टर में प्रधानमंत्री को यूनिफॉर्म में देखना नागवार गुजर रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने नेताजी वाले अंदाज में सोशल साइट X पर लिखा है, ‘तुम मुझे सिंदूर दो, मैं तुम्हें सीजफायर दूंगा’
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का रिएक्शन भी सीजफायर पर बीजेपी और कांग्रेस की आमने सामने की लड़ाई का हिस्सा है. कांग्रेस की फिक्र नजदीक आ रहे बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भी बढ़ती जा रही है. 2019 के आम चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रवाद के एजेंडे का कांग्रेस किस तरह शिकार हुई, भूली नहीं है. अमेठी में राहुल गांधी की हार भला कांग्रेस कैसे भुला सकती है?
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के भाषण के बाद सोशल साइट एक्स पर लिखा है, मोदी जी, खोखले भाषण देना बंद कीजिए. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से तीन सवाल भी पूछे हैं, जिसका केंद्र बिंदु भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ सीजफायर है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी का सवाल है, सिर्फ इतना बताइए:
1. आतंकवाद पर आपने पाकिस्तान की बात पर भरोसा क्यों किया?
2. ट्रंप के सामने झुककर आपने भारत के हितों की कुर्बानी क्यों दी?
3. आपका खून सिर्फ कैमरों के सामने ही क्यों गरम होता है?
और, इसके साथ ही बड़ा आरोप लगाया है, 'आपने भारत के सम्मान से समझौता कर लिया!'
जिस कार्यक्रम में मोदी 2019 के पहलगाम हमले और उसके बाद सेना की कार्रवाई बालाकोट एयर स्ट्राइक का जिक्र करते हुए नारे लगाये जाने की याद दिलाते हों, मैं देश नहीं झुकने दूंगा. उसी भाषण को खोखला बताते हुए राहुल गांधी आरोप लगा रहे हैं कि मोदी ने भारत के सम्मान के साथ समझौता कर लिया है.
अव्वल तो राहुल गांधी सीजफायर को लेकर जनता में उभरे गुस्से को और उभारने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ज्यादा कामयाबी तब मिली होती जब सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शशि थरूर को शामिल किये जाने को कांग्रेस ने चुपचाप हजम कर लिया होता.
जैसे गलवान घाटी संघर्ष पर राजनीति हुई थी
ऐसा पहली बार था जब राहुल गांधी और उनके साथी कांग्रेस नेता ऑपरेशन सिंदूर को लेकर धैर्य बनाये हुए थे. वरना, उरी अटैक के बाद सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर तो राहुल गांधी खुद बीजेपी और मोदी पर खून की दलाली जैसे इल्जाम लगा चुके हैं, और 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भी चुनावी माहौल गर्म होते देर नहीं लगी थी.
2020 के बिहार चुनाव से पहले गलवान घाटी संघर्ष के मुद्दे पर भी ऐसे ही बवाल हो रहा था. ये देखने को मिला है कि जैसे ही बीजेपी की तरफ से उकसाने की कोशिश होती है, राहुल गांधी राजनीतिक तरीके से मुकाबले के बजाय गुस्से में आ जाते हैं - और पब्लिक ओपिनियन की भी परवाह नहीं करते. बिल्कुल ऐसा ही नजारा तब भी देखने को मिला था जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी. तब तो कांग्रेस नेतृत्व के स्टैंड से कई कांग्रेस नेता भी खासे परेशान थे, और कालांतर में वे एक एक करके कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गये.
सीजफायर होने के बाद जनता में भी केंद्र की बीजेपी सरकार पर गुस्सा देखा गया था. कांग्रेस थोड़े धैर्य से काम लेती तो अच्छे से भुना सकती थी, लेकिन हड़बड़ी में बड़ा मौका गवां दिया. अब तो दोनो तरफ से पोस्टर वार शुरू हो गई है. बीजेपी राहुल गांधी को पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर के साथ तस्वीर बनाकर पेश कर रही है, तो कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी को आमने सामने कर AI से संवाद करा रही है. संवाद में वही बात है, जो मोदी से राहुल गांधी सोशल मीडिया पर पूछ रहे हैं.
2020 में राहुल गांधी जोरशोर से लगातार एक सवाल उठा रहे थे कि आखिर सरकार ने गलवान घाटी में सैनिकों को निहत्थे क्यों भेज दिया था? जब यही सवाल एक सर्वदलीय बैठक में उठाया गया तो एनसीपी (शरद पवार) की ओर से शरद पवार ने अंतरराष्ट्रीय समझौतों का हवाला देते हुए नसीहत दे डाली थी. सर्वदलीय बैठक में तब कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका में सोनिया गांधी भी मौजूद थीं.
तब राहुल गांधी ने एक वीडियो जारी कर दावा किया था कि गलवान में सैनिकों को निहत्थे मोर्चे पर भेज दिया गया, जिसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ी, और पूछा था 20 सैनिकों के वीरगति प्राप्त करने का जिम्मेदार कौन है?
कौन ज़िम्मेदार है? pic.twitter.com/UsRSWV6mKs
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 18, 2020
रक्षा मंत्री रह चुके शरद पवार ने तब कहा था, सैनिक कब और कहां हथियार के साथ रहेंगे, और कहां नहीं, ये अंतरराष्ट्रीय समझौतों के मुताबिक तय होता है... ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर कुछ भी बोलते वक्त लोगों को सावधानी बरतनी चाहिये.
और वैसी ही सलाहियत शरद पवार की तरफ से एक बार फिर आई है. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पहलगाम से लेकर सीजफायर तक के घटनाक्रम पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग की थी - और, इस बारे में भी शरद पवार ने सलाह दी है कि राष्ट्रहित से जुड़े ऐसे संवेदनशील मसलों पर चर्चा के लिए संसद सही जगह नहीं होगी, बल्कि ये सब सर्वदलीय बैठक बुलाकर किया जा सकता है.