तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से निकाले जाने के बाद सबसे बड़ा सपोर्ट मिला है. तेज प्रताप यादव की कुछ निजी तस्वीर सोशल मीडिया पर आ जाने के बाद लालू यादव ने उनको राष्ट्रीय जनता दल के साथ साथ अपने परिवार से भी बेदखल कर दिया था. तब से तेज प्रताप यादव अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
तेज प्रताप यादव अकेले पड़ चुके हैं. अपनी पार्टी, जनशक्ति जनता दल, बनाकर महुआ विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं. और, तेज प्रताप यादव के खिलाफ तेजस्वी यादव ने आरजेडी के मौजूदा विधायक को ही मैदान में उतार दिया है. पहले तो तेज प्रताप पार्टी या परिवार के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे थे, लेकिन बाद में तो राघोपुर भी पहुंच गए थे. लोगों को जरूरी सामान दिए और सवाल उठाया था कि इलाके के लोग बाढ़ से परेशान हैं, और इलाके का विधायक नदारद है.
राघोपुर से तेजस्वी यादव तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरे हैं. तेज प्रताप की भूमिका अपनी जगह है, लेकिन जिस तरह से राघोपुर के लोगों का गुस्सा सामने आ रहा है, तेजस्वी यादव के प्रति नाराजगी भी साफ देखी जा सकती है. ये माजरा तब देखने को मिला जब राबड़ी देवी राघोपुर के दौरे पर थीं, एक बुजुर्ग अपनी बात कह रहा था और तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी पर सवाल उठा रहा था. राबड़ी देवी जैसे तैसे बुजुर्ग की बात सुनती रहीं, और फिर वहां से चली गईं.
सवाल ये है कि क्या ये तेज प्रताप के राघोपुर जाकर वहां के विधायक पर सवाल उठाने का नतीजा है? या तेजस्वी यादव के इलाके पर ध्यान नहीं देने की वजह से लोगों की नाराजगी बढ़ी है? कुछ कुछ वैसे ही जैसे 2019 में राहुल गांधी से अमेठी के लोग नाराज थे.
तेजस्वी यादव पर तो राबड़ी देवी ने कुछ खास नहीं बोला, लेकिन तेज प्रताप यादव के बारे में जो कुछ कहा हैं वो काफी महत्वपूर्ण है - और वो एक बेटे के लिए सार्वजनिक तौर पर महज ममता का एहसास नहीं है!
तेज प्रताप को राबड़ी देवी का समर्थन
तेज प्रताप के मामले में अभी तक तेजस्वी यादव की ही प्रतिक्रिया सुनने को मिली है. और, तेजस्वी यादव ने एक बार तो छोड़कर नरम रुख ही दिखाया है. तेज प्रताप के खिलाफ एक्शन होने पर तेजस्वी यादव ने कहा था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जो फैसला लिया है, सही है. बाद में हल्के फुल्के अंदाज में वो तेज प्रताप के बांसुरी बजाने जैसी गतिविधियों के बारे में बोला था. लेकिन, जब तेज प्रताप यादव की वापसी की संभावनाओं पर कुरेदने की कोशिश हुई तो यहीं जताने की कोशिश की कि ये संभव नहीं है. लालू यादव के रुख को लेकर भी तेजस्वी यादव का कहना था, वो मेरे पिता है... मैं उनको अच्छे से जानता हूं - लेकिन राबड़ी देवी की टिप्पणी ज्यादा मायने रखता है.
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने बड़ी ही संजीदगी से बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का समर्थन किया है. राबड़ी देवी का मानना है कि वो जो कुछ भी कर रहा है, ठीक कर रहा है. निश्चित तौर पर तेज प्रताप यादव अपने दम पर मैदान में डटे हुए हैं. राजनीतिक पार्टी भी बनाई है, और खुद चुनाव भी लड़ रहे हैं.
बेटे तेज प्रताप यादव के बारे में पूछे जाने पर राबड़ी देवी कहती हैं, 'लड़ रहा है... वो भी ठीक है... ठीक है, अपना जगह पर वो भी ठीक है. '
ध्यान से देखें तो राबड़ी देवी का बयान महज एक मां के मन की बात नहीं है, बिहार विधानसभा चुनाव के बीच ये एक खास और बड़ा राजनीतिक बयान है. राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, और परिवार के साथ साथ पार्टी में भी उनकी हर बात खास मायने रखती है.
बेटे के काम पर मां की मुहर बहुत मायने रखती है
पहले माना जा रहा था कि चुनाव आते आते तेज प्रताप के लिए लालू यादव की तरफ से कोई रास्ता जरूर निकाला जाएगा. लेकिन, राजनीतिक चुनौतियों ने ऐसा कुछ होने नहीं दिया. तेज प्रताप अकेले चुनाव मैदान में तो उतरे ही, आरजेडी ने भी ऐसी कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी जिससे लगे कि बहाने से मदद की कोशिश हो रही हो.
कहते हैं डूबते तो तिनके का सहारा होता है, और ये तो मां का सपोर्ट है. राबड़ी देवी के बयान के बाद निश्चित तौर पर तेज प्रताप यादव को संबल मिला होगा. बड़ी राहत महसूस कर रहे होंगे. अकेलेपन का भार भी काफी कम हुआ होगा - आगे की लड़ाई के लिए नई ऊर्जा मिली होगी.
सवाल ये है कि राबड़ी देवी के इस बयान का क्या तेज प्रताप यादव की राजनीतिक सेहत पर कोई फर्क भी पड़ेगा?
जवाब तो इस सवाल का यही है कि व्यावहारिक तौर पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. ऐसी ही बात लालू यादव ने कही होती, तो उसका ज्यादा और व्यापक असर होता. लेकिन, जब लालू यादव ने ही पार्टी और परिवार से बाहर निकाल दिया है, तो कम से कम चुनाव खत्म होने तक ऐसी कोई संभावना बनती भी नहीं है.
और कुछ हो न हो, राबड़ी देवी के बयान से तेज प्रताप यादव को एक नैतिक बल तो मिला ही है - ये बात अलग है कि तेजस्वी यादव को ये सुहा नहीं रहा होगा.