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एशिया कप फाइनल की दौड़ से बाहर पाकिस्‍तान हुआ, धर्मसंकट से भारत बचा

भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट करीब 11 साल से नहीं हो रहा है, सिवाय कुछ कुछेक टूर्नामेंट को छोड़कर. सोशल मीडिया पर अकसर भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों की बहाली का रोना शुरू होता है. पर सोचिए कि अगर पाकिस्तान एशिया कप के फाइनल में पहुंचता तो अनंतनाग आतंकी हमले के बाद हम किस तरह इस मैच को खेल भावना से ले पाते?

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एशिया कप में भारत ने दी थी पाकिस्तान को करारी शिकस्त
एशिया कप में भारत ने दी थी पाकिस्तान को करारी शिकस्त

भारत-पाकिस्तान का मैच निश्चित तौर पर बहुत रोमांचक होता है. जब हम अपने धुर विरोधियों के साथ खेल रहे होते हैं तो खेल का मैदान युद्ध के मैदान का प्रोटोटाइप हो जाता है. हमारे दिमाग में पाकिस्तान को बुरी तरह हराने का संघर्ष मैच के दौरान लगातार चलता रहता है.अच्छा हुआ कि एशिया कप के फाइनल में पाकिस्तान नहीं पहुंचा. नहीं तो हम उस देश के साथ कैसे मैच का आनंद लेते जिस देश से भेजे गए आतंकियों ने हमारे जांबांज सैनिकों को गोलियों से छलनी कर दिया.

कश्‍मीर के अनंतनाग में हुए आतंकी हमले के बाद से ही वो लोग नहीं दिखाई दे रहे हैं जो पाकिस्तान के साथ मैच खेलने के लिए तर्कों का तरकश तैयार रखते हैं. क्रिकेट के खेल से सदभावना बढ़ाने वाली बातें करने वाले बयानवीर अब दिखाई नहीं दे रहे. आज कोई भारतीय क्रिकेट सितारा पाक खिलाडि़यों के साथ ली गई अपनी सेल्फी नहीं पोस्ट कर रहा हैं? कहां गए वो शांति के दूत जो भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच को क्रिकेट डिप्लोमेसी की संज्ञा देते नहीं थकते हैं.

पाक के साथ सद्भावना दिखाना केवल तरक्की पसंद होने का दिखावा

जब हम कुछ कट्टरपंथी दलों या नेताओं द्वारा भारत-पाकिस्तान मैच का विरोध करते या मैच के विरोध करने के नाम पर पिच खोद देने की बात सुनते थे बहुत बुरा लगता था . पर जब टीवी पर भारतीय सीमा पर शहीद हुए परिजनों के बिलखते हुए विडियो आते हैं कुछ दिन के लिए फिर ऐसा लगने लगता है कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट क्यों होना चाहिए? बुधवार को कश्मीर मारे गए सेना के जवानों की डेडबॉडी देखकर हर क्रिकेट प्रेमी भी दुखी हुआ होगा. आज यही लगा कि पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार के संबंध बनाने की वकालत करके हम अपने आपको दुनिया से तरक्की पसंद भले कहलवां लें पर ये देश के लिए ठीक नहीं है. देश का हर बड़ा क्रिकेट खिलाड़ी जो सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ मधुर व्यवहार का प्रदर्शन करता है वो दरअसल अपने आपको तरक्की पंसद दिखाने की कोशिश ही होती है उसकी. 

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पीएम की आलोचना करने वाले कहां हैं

जो लोग कल सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसलिए आलोचना कर रहे थे कि बुधवार शाम जब हमारे सैनिक आतंकियों के साथ मुकाबला कर रहे थे हमारे पीएम बीजेपी हेडक्वार्टर में जश्न मनाने में तल्लीन थे. ऐसा कहने वालों में शिवसेना ( ठाकरे) की प्रवक्ता प्रियंक चतुर्वेदी और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह भी थे. इन लोगों से उम्मीद है कि वो अब डिमांड करेंगे कि पाकिस्तान से हर तरह के मैच बंद होने चाहिए.सोचिए अगर श्रीलंका के बजाय पाकिस्तान एशिया कप की फाइनल में पहुंचता तो हम किस खेल भावना के सहारे भारत और पाक का मैच देख रहे होते . निश्चित है पाकिस्तान के लिए गुस्सा उस देश के खिलाड़ियों के साथ भी दिखता. हम कभी खेल भावना से उनको नहीं देख पाते.तो क्यों न सभी तरह के मैच तब तक के लिए स्थगित हों जब तक पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज न आ जाए. हालांकि अभी पाकिस्तान के जो हाल हैं उससे यही लगता है कि ऐसा अभी असंभव है.

पाकिस्तान को द्विपक्षीय मैचों के लिए बैन करने का नाटक बंद करे बीसीसीआई 

कांग्रेस नेता और बीसीसीआई के पदाधिकारी राजीव शुक्ल का बयान आया कि वह पाकिस्तान क्रिकेट के साथ द्विपक्षीय संबंधों का बहिष्कार जारी रखेंगे.  तनावपूर्ण संबंधों के कारण 2012 से ही भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट बंद है और तब से ही दोनों टीमें एक दूसरे के खिलाफ केवल आईसीसी वाले ही मैच खेल रही हैं.राजीव शुक्ला क्यों नहीं कहते कि पाकिस्तान के साथ टूर्नामेंट लेवल पर भी भारत की भागीदारी खत्म किया जाए?

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यह कौन नहीं जानता कि हम भारत और पाकिस्तान को एक ग्रुप में केवल इसलिए रखते हैं ताकि दोनों टीमों के साथ अधिकतम मैच खेला जा सके. यही नहीं टीवी से मोटी कमाई की जा सके इसलिए विज्ञापनों के स्लॉट बढ़ा देते हैं. अगर यही करना है तो इससे बेहतर तो यही है कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मैच खेलो.

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