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दिन-रात 'इंडिया' और 'मोदी' जपने वाले डोनाल्ड ट्रंप क्या दिमागी संतुलन खो बैठे हैं?

डोनाल्ड ट्रंप नरेंद्र मोदी के साथ दोस्ती के कभी तराने गाते थे. पर भारत-पाक युद्ध के सीजफायर के बाद जैसे इस दोस्ती को नजर लग गई. ट्रंप जिस तरह का व्यवहार कर रहे हैं वो केवल नोबल पीस प्राइज के लिए नॉमित करने के लिए नहीं हो सकता है. भारत और मोदी का जिस तरह वो नाम ले रहे हैं उससे साफ लगता है कि वो ब्रेकअप के बाद किस तरह बेकरार हैं.

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नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप
नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को एक बार फिर ऐसा बयान दिया है जो यह बताता है कि भारत को लेकर वे कितने पजेसिव हैं. पिछले 76 घंटे में ट्रंप बार-बार भारत का नाम ले रहे हैं. ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात कर भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिन चले युद्ध को रुकवाया था. ट्रंप के मुताबिक, उन्होंने दोनों देशों को धमकी दी थी कि अगर लड़ाई नहीं रुकी तो अमेरिका व्यापार समझौता नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि, मैंने पीएम मोदी से कहा कि अगर पाकिस्तान के साथ जंग नहीं रुकी तो कोई व्यापार समझौता नहीं होगा. फिर मैंने पाकिस्तान से कहा कि अगर लड़ाई बंद नहीं हुई तो इतने ऊंचे टैरिफ लगाऊंगा कि उनका सिर घूम जाएगा. इसके बाद पांच घंटे में ही सब खत्म हो गया. 

इस बयान के एक दिन पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि 24 घंटे का अल्टीमेटम देकर उन्होंने दोनों देशों के बीच युद्ध को रुकवाया था.. ट्रंप ने यह भी दावा किया कि भारत-पाक युद्ध में 7 जेट मार गिराए गए थे. जाहिर है कि जिस तरह का व्यवहार अमेरिकी राष्ट्रपति भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर दिखा रहे हैं , कुछ वैसा ही जैसे ब्रेकअप के बाद पजेसिव गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड हरकतें करते हैं, उन्हें लगता है कि मोदी उन्हें अब भी फोन करके पुराने गिले शिकवे माफ कर देंगे. एक जर्मन अखबार की मानें तो ट्रंप करीब चार बार नरेंद्र मोदी को फोन कर चुके हैं. पर मोदी हैं कि उनका दिल रखने के लिए भी फोन नहीं उठाते हैं. इसके चलते ट्रंप की बेकरारी और बढ़ जाती है. शायद ट्रंप तड़प कर रह जाते हैं और हर बार भारत के खिलाफ कुछ अपशब्द अपने मुंह से निकाल देते हैं.

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सवाल यह है कि अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर और अमीर देश है. पूरी दुनिया में अमेरिका की तूती बोलती है. दूसरी तरफ भारत आज भी एक विकासशील देश है. भारत सरकार को उम्मीद है कि 2045 तक यानि कि करीब 20 साल बाद हमारा देश एक विकसित राष्ट्र बन सकता है. यानि कि इससे अधिक समय भी लग सकता है. मतलब यह है कि कहां राजा भोज कहां गंगू तेली वाली पोजिशन अमेरिका और भारत के बीच है.

एक समय था कि भारत के प्रधानमंत्रियों को अमेरिकी राष्ट्रपति अपने ऑफिस पर बुलवाकर घंटों इंतजार करवाते थे. एक समय ऐसा था कि अमेरिकी कार्पोरेट अपने उत्पाद को भारत में बेचना भी पसंद नहीं करते थे क्योंकि उससे उनकी ब्रैंड वैल्यू खराब हो जाती थी. एपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स जब तक जिंदा रहे आईफोन को भारत में लांच नहीं किया. पर अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं. 

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर होने के बाद जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भारत का नाम लेते रहते हैं वह भारत की महत्ता को ही जाहिर करता है. 10 मई से 27 अगस्त के बीच में कम से कम हर दूसरे दिन में एक बार वो मोदी या भारत का जिक्र जरूर कर देते हैं. किसी भी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के लिए यह एक हास्यास्पद स्थिति ही है कि वह लगातार किसी नेता या देश का नाम ले रहा है. कभी कभी तो ऐसा लगता है कि ट्रंप आजकल सपने भी भारत का ही देखते हैं. जाहिर है कि इस तरह का व्यवहार संकेत देता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति का आजकल मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं. उन्हें इलाज की जरूरत है.

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आइये देखते हैं कि ऐसा क्यों लग रहा है कि ट्रंप की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है? 

ऑपरेशन सिंदूर (7-10 मई 2025) के बाद, ट्रंप ने करीब 40 बार यह दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम करवाया है. India Today के अनुसार, ट्रंप ने 10 मई 2025 से लेकर 26 अगस्त 2025 तक 40 से अधिक बार दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान तनाव को सुलझाया.

ट्रंप ने इन दावों को विभिन्न मंचों पर दोहराया, जैसे व्हाइट हाउस की प्रेस कॉन्फ्रेंस (10 मई, 18 जून, 27 अगस्त), ट्रुथ सोशल पोस्ट, और अन्य देशों में बयानों (जैसे दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात में) के दौरान भी उन्होंने भारत राग नहीं छोड़ा. ट्रंप ने भारत पर टैरिफ (25% और बाद में 50%) लगाने की घोषणा करते समय और व्यापारिक नीतियों के संदर्भ में बार-बार भारत और मोदी का जिक्र किया. इसी तरह कम से कम 15 बार टैरिफ के बहाने ट्रंप भारत और मोदी का नाम ले चुके हैं. यानि कि पिछले 100 दिनों में कम से 55 बार वो सार्वजनिक तौर पर भारत और नरेंद्र मोदी का नाम ले चुके हैं. 

क्या ट्रंप का व्यवहार असामान्य है?

ट्रंप का बार-बार भारत और मोदी का नाम लेना, खासकर ऑपरेशन सिंदूर और टैरिफ के संदर्भ में, उनकी मानसिक स्थिति और व्यवहार पर सवाल उठाता है. वह इस समय ऐसी बातें कर रहे हैं जो या तो अतिशयोक्ति होती हैं या असंगत होती हैं. ट्रंप का सात जेट्स या पांच जेट्स मार गिराने का दावा अलग-अलग और तथ्यहीन है, क्योंकि भारत और पाकिस्तान ने इसका खंडन किया.भारत को मृत अर्थव्यवस्था कहना भी उनकी मानसिक स्थिति खराब होने की ओर ही इशारा करता है. 

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ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को 1500 साल पुराना (अप्रैल 2025) और सैकड़ों साल पुराना (27 अगस्त 2025) कह दिया. एक अमेरिकी राष्ट्रपति को इस तरह की तथ्यात्मक ब्लंडर की उम्मीद नहीं की जाती है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि उन्हें नार्सिसिस्टिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर हो गया है. बांडी एक्स. ली, जिन्होंने The Dangerous Case of Donald Trump (2017) संपादित किया है, ने उनमें खतरनाक व्यवहार के लक्षण देखे. साइकॉलजी टुडे में छपी रिपोर्ट की मानें तो 27 विशेषज्ञों ने उनकी मानसिक स्थिति को अमेरिका के लिए खतरा बताया है.

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