
मध्य प्रदेश के सागर में एक अनोखा मामला सामने आया है. एक गर्भवती महिला को सोनोग्राफी सेंटर गलत रिपोर्ट दी गई. महिला के गर्भ में एक शिशु होने की रिपोर्ट थी. जबकि उसने दो बच्चों को जन्मा. जिसके चलते महिला ठीक तरह से अपने आपकी केयर नहीं कर पाई और उसका परिणाम बेहद दुखद रहा.
महिला ने अपने साथ हुई इस भारी चूक को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में चुनौती दी थी. अब इस मामले आयोग ने पीड़ित महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए राज डायग्नोस्टिक को 1.25 लाख रुपए का हर्जाना देने का आदेश दिया है.
मामले में पैरवी करने वाले वकील रूपेश सोनी ने बताया, मेरी पक्षकार साल 2019 के अप्रैल में गर्भवती थी. उसका इलाज प्रसूतिका गृह में चल रहा था. इसी दौरान उसे अस्पताल के डॉक्टर ने सोनोग्राफी कराने की सलाह दी.
गर्भवती अपने पति के संग राज डायग्नोस्टिक सेंटर पर गई. रेडियोलॉजिस्ट डॉ. राजेंद्र जैन द्वारा उसकी सोनोग्राफी की गई और बताया कि उसके गर्भ में एक ही शिशु पल रहा है. उन्होंने कुछ चिकित्सकीय परामर्श वगैरह भी दिया.

इसके बाद वह अपने घर आ गई. तीन दिन बाद गर्भवती महिला की तबीयत खराब होने लगी. वह फिर अस्पताल पहुंची. जहां स्थिति नाजुक होने पर उसकी सीजेरियन सेक्शन डिलीवरी की गई.
प्रसूता ने गर्भ से एक मेल और एक फीमेल शिशु को जन्म दिया. लेकिन दोनों को बचाया नहीं जा सका. महिला का कहना था कि अगर सोनोग्राफी में उसे इसकी सही जानकारी मिलती तो शायद उसके दोनों बच्चे इस दुनिया में होते.

इस पूरे मामले में हुई सुनवाई के बाद जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग के अध्यक्ष ऋषभकुमार सिंघई ने माना कि सोनोग्राफी सेंटर की लापरवाही के चलते गर्भवती महिला और उसका इलाज कर रहे डॉक्टर को पूरी जानकारी नहीं मिल पाई. इसलिए पीड़िता को हुई मानसिक, शरीरिक और आर्थिक नुकसान के लिए सोनोग्राफी सेंटर पूरी तरह जिम्मेदार है.