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MP: बीजेपी नेता अक्षय कांति बम को हाई कोर्ट से राहत, 17 साल पुराने मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर लगाई रोक

MP News: बीते साल 24 अप्रैल को इंदौर में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने पीड़ित पक्ष की याचिका पर पिता-पुत्र की जोड़ी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 जोड़ने का आदेश दिया था. यह मामला 2007 में भूमि विवाद में एक व्यक्ति पर हमला करने के आरोप में दर्ज किया गया था. 

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BJP नेता अक्षय कांति बम. (फाइल फोटो)
BJP नेता अक्षय कांति बम. (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने 2007 में हत्या के प्रयास के एक मामले में बीजेपी नेता अक्षय बम और उनके पिता के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है. बम तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान इंदौर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन आखिरी समय में वापस ले लिया था और BJP में शामिल हो गए थे. हाई कोर्ट  ने 2007 के मामले में आरोप तय करने को चुनौती देने वाली बम और उनके पिता कांतिलाल की याचिका पर 4 अप्रैल को यह आदेश जारी किया था. 

हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव एस कलगांवकर ने कहा, "मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्देश दिया जाता है कि मुकदमे की आगे की कार्यवाही केवल अगली सुनवाई की तारीख तक रोकी जाए. इस बीच, राज्य के विद्वान वकील को केस डायरी और संबंधित दस्तावेज मांगने और जमा करने का निर्देश दिया जाता है." 

हाई कोर्ट ने बम और उनके पिता की याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 2 मई की तारीख तय की है. पिछले साल 24 अप्रैल को इंदौर में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने पीड़ित पक्ष की याचिका पर पिता-पुत्र की जोड़ी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) जोड़ने का आदेश दिया था. यह मामला 2007 में भूमि विवाद में एक व्यक्ति पर हमला करने के आरोप में दर्ज किया गया था. 

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आदेश के पांच दिन बाद बमने इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अपना नाम वापस ले लिया और बीजेपी में शामिल हो गए. जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने पिछले महीने बमऔर उनके पिता के खिलाफ हत्या के प्रयास के मामले में आरोप तय किए थे. इसके बाद दोनों ने आरोप तय करने को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. 

बचाव पक्ष के वकील राघवेंद्र सिंह रघुवंशी ने तर्क दिया था कि "इंदौर के जेएमएफसी के समक्ष 17 साल तक मुकदमा लंबित रहने के बावजूद आईपीसी की धारा 307 के तहत दंडनीय अपराध के संज्ञान के लिए कभी भी आवेदन दायर नहीं किया गया. यह तभी दायर किया गया जब याचिकाकर्ता नंबर-1 यानी अक्षय बम) ने चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी घोषित की".

यह भी पढ़ें: '₹15 लाख की घड़ी पहनता हूं, मुझे कोई क्या ऑफर करेगा...', BJP से 'सौदेबाजी' के आरोपों पर बोले अक्षय कांति बम

बाद में मामला सेशन कोर्ट को सौंप दिया गया और आरोप तय किए गए. मामले में साक्ष्य दर्ज करने के लिए 30 अप्रैल की तारीख तय की गई है और याचिकाकर्ता ने प्रक्रिया और आरोप तय करने पर आपत्ति जताई है. 

बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि चूंकि मुकदमे की आगे की कार्यवाही याचिकाकर्ताओं के लिए गंभीर पूर्वाग्रह पैदा कर सकती है, इसलिए कार्यवाही रोक दी जानी चाहिए. 

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पुलिस के अनुसार, 4 अक्टूबर 2007 को भूमि विवाद को लेकर युनुस पटेल नामक व्यक्ति पर हमला करने के आरोप में बम, उसके पिता और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. उन्होंने बताया कि FIR भारतीय दंड संहिता की धारा 294 दुर्व्यवहार, 323, 506 और अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दर्ज की गई थी. 

पटेल ने आरोप लगाया कि घटना के दौरान, सुरक्षा एजेंसी चलाने वाले सतवीर सिंह ने बम के पिता कांतिलाल के कहने पर 12 बोर की बंदूक से उन पर गोली चलाई. गोलीबारी में आरोपी सिंह की बाद में मौत हो गई.

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