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बेबसी और लाचारी: चप्पल खरीदने के पैसे नहीं थे तो बांध दी पॉलीथिन, मगर मां ने तपने नहीं दिए कलेजे के टुकड़ों के नाजुक पैर

'घेर लेने को जब भी बलाएं आ गईं, ढाल बनकर मां की दुआएं आ गईं', कुछ ऐसी ही तस्वीर मध्य प्रदेश के श्योपुर शहर से सामने आई है. जहां चिलचिलाती सड़क पर झुलसने से बचाने के लिए एक मां ने अपने बच्चों के पैरों में पॉलीथिन बांध दी. क्योंकि बेबस और लाचार उस मां के पास चप्पल खरीदने के पैसे नहीं थे.

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महिला ने गर्मी से बचाने बच्चों के पैरों में बांधी पॉलीथिन.
महिला ने गर्मी से बचाने बच्चों के पैरों में बांधी पॉलीथिन.

देशभर के कई इलाकों के साथ ही मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में भी इन दिनों भीषण गर्मी कहर बरपा रही है. लोग गर्मी से बचने के तमाम उपाय कर रहे हैं. तपती गर्मी के बीच श्योपुर से एक ऐसी तस्वीर वायरल हो रही है जो न केवल सिस्टम को आईना दिखा रही है, बल्कि हर किसी का दिल भी झकझोर के रख दे रही है. वायरल हो रही फोटो में एक बेबस मां और उसके तीन मासूम बच्चे हैं. तपती गर्मी में बेबस मां ने बच्चों को गरम सड़क से बचाने के लिए उनके पैरों में पॉलीथिन बांध रखी है. उधर, सोशल मीडिया वायरल तस्वीर को प्रशासन ने संज्ञान में लेकर उस परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिया है. 

यह तस्वीर 21 मई रविवार दोपहर की है. इसमें नजर आ रही महिला का नाम रुक्मिणी है और साथ में उसकी 3 मासूम बेटियां दिख रही हैं. महिला श्योपुर शहर की सड़कों पर चिलचिलाती धूप में अपने बच्चों के पैरों में पॉलीथिन बांधकर घूम रही थी. यह देख वहां से गुजर रहे स्थानीय मीडियाकर्मी इंसाफ कुरैशी ने उनका फोटो क्लिक कर लिया.

महिला से चर्चा करने पर पता चला कि उसका पति बीमार रहता है. वह काम की तलाश में शहर आई है. उसके पास पैसे नहीं थे. फिर मीडियाकर्मी ने उसे चप्पल खरीदने के लिए पैसे भी दिए. 

वहीं, फोटो वायरल होने के बाद जब महिला की तलाश की गई तो उसका पता शहर के वार्ड क्रमांक-8 की कच्ची बस्ती में निकला. जब हमारी टीम तलाश करते हुए महिला के घर पहुंची तो वहां उसका पति सूरज और दो बेटियां काजल (6 वर्ष) और खुशी (4 वर्ष) मिलीं. पता चला कि रुक्मिणी अब मजदूरी के लिए एक साल के बेटे मयंक को लेकर जयपुर यानी राजस्थान चली गई है. 

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झोपड़ी के बाहर बच्चों संग बैठा महिला का पति सूरज.

रुक्मिणी के पति सूरज ने बताया, वह टीबी की बीमारी से पीड़ित है, इसलिए उसकी पत्नी ही काम पर जाती है. हमारे पास राशनकार्ड नहीं है. सिर्फ आधार कार्ड है. आंगनबाड़ी से जरूर खाना मिलता रहता है. आज (सोमवार) ही मेरी पत्नी मजदूरी के लिए जयपुर चली गई है. 

श्योपुर की कच्ची बस्ती में रहता महिला का परिवार.

आदिवासी महिला और उसके बच्चों की बेबसी की फोटो क्लिक करने वाले स्थानीय पत्रकार इंसाफ कुरैशी का कहना है, ''मैं एक स्थान पर कवरेज के लिए जा रहा था. तभी उस महिला पर नजर पड़ी. जिसने अपने बच्चों को तपती सड़क से बचाने उनके पैरों में पॉलीथिन बांध रखी थी. मैं जल्दी में था. फोटो खींचकर बात की तब पता चला कि महिला के पास चप्पल पहनने के पैसे ही नहीं हैं, तो फिर मैंने उसे बतौर मदद कुछ पैसे भी दिए.''

मीडियाकर्मी इंसाफ कुरैशी.

कलेक्टर का बयान 

इस मामले में श्योपुर कलेक्टर शिवम वर्मा ने बताया, मैं अभी बाहर हूं. मामला जानकारी में आया है. महिला बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर ममता व्यास और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पिंकी जाटव को संबंधित परिवार से जानकारी लेने भेजा गया है. परिवार को सरकारी योजनाओ का अधिकतम लाभ देने के निर्देश दिए हैं. 

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बहरहाल, आदिवासी सहरिया महिलाओं की बेहतरी के लिए सरकार अनेक योजनाएं चला रही है. लेकिन इस तरह की तस्वीर शिवराज सरकार अपने तमाम दावों की पोल खोल रही है. फिलहाल, महिला का जिला प्रशासन ने पता लगाकर उसे सरकार की योजनाओं से लाभान्वित करने का निर्णय लिया है. Video में देखिए क्या बोला महिला का पति:-

 

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