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36 नाबालिग जोड़ों की रुकवाई शादी, इंदौर में बाल विवाह पर प्रशासन का सख्त एक्शन

भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुसार पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह योग्य आयु 21 और 18 साल है. उल्लंघन करने वालों को दो साल तक की कठोर कारावास या 1 लाख रुपए का जुर्माना भरना पड़ सकता है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

MP News: इंदौर जिले में प्रशासन ने 36 नाबालिग जोड़ों को शादी करने से रोक दिया. एक सामूहिक विवाह समारोह के दौरान बाल विवाह के खिलाफ यह बड़ी कार्रवाई की गई, जहां कुल 49 जोड़े शादी के लिए मौजूद थे.

देपालपुर तहसील के बछोदा गांव में आयोजित एक सामूहिक विवाह समारोह में महिला एवं बाल विकास विभाग की फ्लाइंग स्क्वॉड टीम ने छापा मारा. स्क्वॉड के प्रभारी महेंद्र पाठक ने बताया, "जांच में पाया गया कि 36 जोड़े नाबालिग थे. लड़कियों की उम्र 16 से 17 साल के बीच थी, जबकि लड़के करीब 20 साल के थे. हमने आयोजकों को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देकर इन शादियों को रुकवा दिया." बाकी 13 जोड़े, जो कानूनी उम्र सीमा पूरी करते थे, उनके विवाह समारोह को आगे बढ़ने दिया गया.

भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य उम्र 21 साल और महिलाओं के लिए 18 साल निर्धारित है. इस कानून का उल्लंघन करने वालों को दो साल तक की सजा या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.

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यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है, जब मध्य प्रदेश में बाल विवाह को रोकने के लिए प्रशासन सख्त कदम उठा रहा है. हाल ही में इंदौर जिला प्रशासन ने अक्षय तृतीया जैसे धार्मिक अवसरों पर होने वाले सामूहिक विवाहों पर नजर रखने के लिए सख्त निर्देश जारी किए थे.

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