मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को इंदौर शहर में दूषित पानी पीने से उल्टी और दस्त से पीड़ित लोगों को मुफ्त इलाज देने और इस दुखद घटना पर एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया.
हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने भारत के सबसे स्वच्छ शहर में दूषित पीने के पानी की घटना पर सरकार से दो दिनों के भीतर यानी 2 जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी है.
महापौर पुष्यमित्र भार्गव के मुताबिक, दस्त और उल्टी से अब तक 7 लोगों की मौत हो गई है, जबकि जिला प्रशासन ने मरने वालों की संख्या चार बताई है.
जस्टिस राजेश कुमार गुप्ता और बी पी शर्मा की वेकेशन बेंच ने इंदौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रितेश इनानी द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए.
इनानी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को दूषित पानी पीने से उल्टी और दस्त के कारण बीमार हुए लोगों के लिए मुफ्त इलाज सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है.
उन्होंने बताया कि याचिका में विशेष रूप से अधिकारियों से मध्य प्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी के हर निवासी को साफ पीने का पानी उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया था.
पिछले एक हफ्ते में भागीरथपुरा इलाके में दूषित पीने के पानी से जुड़े दस्त और उल्टी के प्रकोप से 1100 से अधिक लोग किसी न किसी रूप में प्रभावित हुए हैं, जिनमें से लगभग 150 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव के अनुसार, इस प्रकोप में अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, इंदौर के जिला मजिस्ट्रेट शिवम वर्मा ने कहा कि डॉक्टरों ने चार मौतों की पुष्टि की है और बताया कि शहर भर के 27 अस्पतालों में 149 मरीजों को भर्ती कराया गया है और उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर नजर रखी जा रही है.