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ग्वालियर: गौवंश के शवों का लगा ढेर, गौशाला का सालाना बजट 25 करोड़ रुपए, उठे सवाल

Cow Deaths Gwalior Gaushala: ग्वालियर की लाल टिपारा गौशाला पर सालाना करीब 25 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं. इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में गोवंशों की मौत और शवों की दयनीय स्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

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ग्वालियर की लाल टिपारा गौशाला में मरे गोवंश.(Photo:Screengrab)
ग्वालियर की लाल टिपारा गौशाला में मरे गोवंश.(Photo:Screengrab)

मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित लाल टिपारा गौशाला से एक हृदयविदारक तस्वीर सामने आई है. यहां एक दर्जन से अधिक गोवंशों की मौत ने प्रशासनिक और प्रबंधकीय दावों की पोल खोल दी है. जहां एक ओर शासकीय चिकित्सक ने गंभीर आरोप लगाए हैं, वहीं गौशाला प्रबंधन इसे सामान्य प्रक्रिया बता रहा है.

ग्वालियर नगर निगम और कृष्णायन NGO की ओर से संचालित इस गौशाला में वर्तमान में 10 हजार से अधिक गोवंश हैं. हाल ही में यहां भारी संख्या में गायों के शव एक-दूसरे के ऊपर पड़े मिले, जिससे हड़कंप मच गया.

शासकीय पशु चिकित्सक आशुतोष आर्य ने पुष्टि की है कि एक दर्जन से ज्यादा गोवंशों की मौत हुई है. उन्होंने इलाज और निगरानी व्यवस्था में कमी की ओर इशारा किया है.

मामले की गंभीरता और सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों के बाद नगर निगम कमिश्नर संघ प्रिय ने जांच के आदेश दिए हैं. जांच में पता लगाया जाएगा कि बीमार गोवंशों की पहचान और इलाज में देरी क्यों हुई? क्या मौत के पीछे कोई संक्रमण या चारे की क्वालिटी का कारण है? मृत गायों के शवों के प्रबंधन में लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है?

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इनका कहना

गौशाला के मुख्य संरक्षक ऋषभ देव जी महाराज ने आरोपों को नकारते हुए स्थिति को सामान्य बताया है, ''यहां 8-9 हजार गौ माता रहती हैं. यह एक अस्पताल की तरह है जहां घायल, कमजोर और बीमार आवारा गोवंश लाए जाते हैं. इतनी बड़ी संख्या में मौत का यह आंकड़ा सामान्य है. मृत गायों को लैंडफिल साइट पर भेजा जाता है. हम अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन कर रहे हैं.''

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