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MP अजब है... किसानों के लिए मिले ₹4.79 करोड़ अफसरों ने कारों पर उड़ाए, मंत्री बोले- गाड़ी नहीं खरीदें क्या?

CAG ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 5.31 करोड़ रुपये के फंड में से 4.79 करोड़ रुपये का उपयोग वाहनों की खरीद, रखरखाव, ड्राइवरों के वेतन पर खर्च किया, जबकि किसान कल्याण, छूट, प्रशिक्षण और कृषि उपकरण प्रदान करने जैसे कार्यों पर नाममात्र राशि खर्च की गई.

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किसानों के हित के पैसे से अधिकारियों ने गाड़ियों पर उड़ाए.(Photo:Representational)
किसानों के हित के पैसे से अधिकारियों ने गाड़ियों पर उड़ाए.(Photo:Representational)

मध्य प्रदेश में किसानों के कल्याण के लिए बनाए गए फर्टिलाइजर डेवलपमेंट फंड (FDF) के दुरुपयोग का सनसनीखेज खुलासा हुआ है. विधानसभा में पेश की गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, तकरीबन 5 करोड़ रुपए की रकम, राज्य और जिला स्तर पर गाड़ियों के उपयोग में उड़ गई. विपक्ष अब इसे सरकार और अधिकारियों का गठजोड़ बता रहा है, तो कृषि मंत्री बोल रहे हैं कि गाड़ी नहीं खरीदें क्या? 

दरअसल, किसानों के कल्याण के लिए बने फर्टिलाइजर डेवलपमेंट फंड (5.31 करोड रुपए) में से बीते 4 साल में अधिकारियों ने 90 फ़ीसदी रकम यानी करीब 4.79 करोड रुपए गाड़ियों के उपयोग पर खर्च कर दी. लेकिन हद तो तब हो गई जब कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना ने सवाल पूछे जाने पर चौकाने वाला जवाब दिया कि गाड़ी नहीं खरीदें क्या?"

FDF यानी उर्वरक विकास निधि का उद्देश्य किसानों के हित के लिए उर्वरक प्रबंधन में सुधार करना, उन्हें महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करना, खाद्य वितरण भंडारण वितरण की निगरानी मॉनिटरिंग निरीक्षण और प्राथमिक कृषि ऋण समितियां को मजबूत करना था. लेकिन CAG की रिपोर्ट कहती है कि इन कार्यों पर नाममात्र खर्च हुआ और गाड़ियों पर करोड़ों उड़ गए. 

CAG ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि पंजीयक, सहकारी समितियों ने उर्वरक विकास निधि की 5.31 करोड़ रुपए में से 4.79 करोड़ रुपए (90%) राशि को किसान कल्याण (छूट, प्रशिक्षण, कृषि उपकरण प्रदान करने) प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के विकास आदि पर व्यय करने के बजाय राज्य और जिला स्तर पर वाहनों के उपयोग पर खर्च किया. 
 
CAG की यह रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई, जिसके बाद विपक्ष इसे नेता, अधिकारी और माफिया का गठजोड़ बता रहा है. 

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पूर्व कृषि मंत्री और कांग्रेस विधायक सचिन यादव ने कहा, कैग की रिपोर्ट ने यह भी साफ किया कि किसानों के लिए राहत, प्रशिक्षण या उपकरण सप्लाई जैसे बुनियादी कार्यों पर नाममात्र का पैसा खर्च हुआ.

फंड के उद्देश्य दरकिनार रहे, जबकि गाड़ियों पर खर्च चलते रहे. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसानों के नाम पर बना पैसा, वाकई कभी किसानों तक पहुंचेगा भी या नहीं?

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