मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ट्रैफिक जाम और अव्यवस्था से निजात दिलाने के लिए बनाए गए ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) की डिजाइन अब खुद समस्या बनकर सामने आई है. 18 करोड़ रुपये की लागत और लगभग 8 साल के लंबे इंतजार के बाद तैयार हुए इस पुल में 90 डिग्री के खतरनाक टर्न ने लोगों को हैरान कर दिया है. लोगों का कहना है कि इस पुल का करीब 90 डिग्री वाला मोड़ हादसे की बड़ी वजह बन सकता है.
बता दें कि 18 करोड़ की लागत वाले इस ब्रिज को बनाने में करीब 8 साल लग गए हैं, लेकिन इस ब्रिज पर चढ़ने के बाद वाहन चालकों को लगभग 90 डिग्री पर मुड़ना होगा, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर अब पुल की डिजाइन पर सवाल उठ रहे हैं.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए मनीष चौधरी नाम के यूजर ने लिखा- ये भोपाल का ऐशबाग रेल ओवर ब्रिज, जिसे PWD ने पूरे 10 साल में तैयार किया है, मानो कोई इंजीनियरिंग का चमत्कार हो. जब सत्ता की बागडोर भ्रष्ट सरकारों के हाथ हो, योजनाएं अयोग्य और किताबों में सिमटे योजनाकार बनाएं और इंजीनियर डिग्री नहीं, डोनेशन से बनें तो पुल नहीं, दुर्घटनाएं बनती हैं.
यूजर ने आगे लिखा- ऐसी संरचनाएं जनता की जरूरत नहीं, अधिकारियों की जेबें भरने के लिए बनाई जाती हैं. नक्शे कागज पर पास होते हैं, ज़मीन पर नहीं. सीमेंट से ज्यादा कमीशन की परतें चढ़ती हैं. नतीजा पुल के नाम पर घटिया काम. ये पुल न सिर्फ ट्रैफिक जाम का नया केंद्र बनेगा, बल्कि 90 डिग्री का ये मोड़ बड़े हादसे को न्योता देगा. जो लोग इस पुल से रोज गुजरने वाले हैं, उनके लिए शुभकामनाएं ही दी जा सकती हैं, क्योंकि योजना बनाने वालों ने तो बस फॉर्मेलिटी पूरी की है, जिम्मेदारी नहीं.
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वहीं एक अन्य यूजर मुकेश ने लिखा- मौत 90 डिग्री का कोण बनाकर आएगी. डेवलपमेंट का यह एंगल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में निकलकर आया है. 18 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. 18 करोड़ की लागत से तैयार हुए इस पुल की लंबाई 648 मीटर है.
जिस जगह पर यह पुल बना है, दरअसल वो बेहद घनी आबादी और बेतरतीब ट्रैफिक वाला इलाका है. इसलिए कम जगह में इस पुल का निर्माण किया गया, लेकिन उद्घाटन के पहले ही यह पुल डिजाइन को लेकर विवादों में आ गया है. वहीं, इस पुल की डिजाइन को लेकर जब पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि पुल बनने के बाद अचानक कुछ विशेषज्ञ आते हैं और इस तरह की बात करते हैं, जबकि कोई भी पुल बनाते समय बहुत सारे तकनीकी पहलुओं को देखा जाता है. अगर ये कोई आरोप है तो इसकी जांच कराई जाएगी.