scorecardresearch
 

100 साल जीने वाली 'वत्सला' की कहानी... दूसरी हथिनियों की डिलीवरी में करती थी मदद, बच्चों के लिए निभाती थी दादी-नानी का रोल

100 से ज्यादा उम्र की हथिनी वत्सला पूरे हाथियों के दल का नेतृत्व करती थी. अन्य मादा हाथी के प्रसव और बच्चा होने के बाद वह एक नानी या दादी के रूप में अपनी भूमिका निभाती थी.

Advertisement
X
दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला नहीं रही.
दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला नहीं रही.

मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला की 8 जुलाई  मृत्यु हो गई. 100 वर्ष से अधिक आयु वत्सला को एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी माना जाता है. पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारी-कर्मचारियों ने वत्सला का अंतिम संस्कार किया गया. वत्सला हथिनी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र थी. सबसे बुजुर्ग होने से वह पूरे हाथियों के दल का नेतृत्व करती थी. अन्य मादा हाथी के प्रसव और बच्चा होने के बाद वह एक नानी या दादी के रूप में अपनी भूमिका निभाती थी.

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व ने बताया कि मादा वत्सला परिक्षेत्र हिनौता के खैरइयां नाले के पास आगे के पैर के नाखून टूट जाने के कारण बैठ गई थी. वनकर्मियों ने उसको उठाने का काफी प्रयास किया गया. लेकिन दोपहर को हथिनी की मृत्यु हो गई.

एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला की मृत्यु

हथिनी वत्सला केरल से नर्मदापुरम लाई गई थी और बाद में उसे पन्ना टाइगर रिजर्व लाया गया था. वृद्ध होने के कारण वत्सला को आंखों से दिखना बंद हो गया था और वह अधिक दूरी तक नहीं चल पाती थी, इसलिए गश्ती कार्य में इसका उपयोग नहीं लिया जाता था. इसे हिनौता हाथी कैम्प में रखा गया था. हर दिन खैरइयां नाले तक नहलाने के लिए ले जाया जाता था और भोजन में दलिया दिया जा रहा था.

सबसे बुजुर्ग हथनी वत्सला की 8 जुलाई मृत्यु हो गई.

सरकार की ओर से बताया गया कि पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन के वन्य प्राणी चिकित्सक और विशेषज्ञों के द्वारा समय-समय पर हथिनी वत्सला के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा था, इसलिए वत्सला पन्ना टाइगर रिजर्व के विरल एवं शुष्क वन क्षेत्र में दीर्घ आयु की अवस्था तक जीवित रही. टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थपना योजना में वत्सला का अहम योगदान रहा.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement