राष्ट्रीय स्वाभिमान के कवि डॉ हरिओम पंवार अपने हर मंच से नेताओं को देशसेवा के लिए सचेत करने के साथ ही देश के दुश्मनों के खिलाफ कठोर काररवाई की चेतावनी देते रहे हैं. अगर उनकी बात मानी गई होती तो देश को आज शायद पुलवामा हमला न देखना होता. साहित्य आजतक के मंच पर पढ़ी गई उनकी यह कविता पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरूप