दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में आजतक के सलाना लिटरेचर फेस्ट साहित्य आजतक के मंच पर शनिवार को वरिष्ठ पत्रकार और लेखक सतीश सिंह भी पहुंचे. आर्थिक मामलों पर कई पुस्तकें लिख चुके सतीश सिंह ने लेखन के सरोकार सेशन में वित्तीय साक्षरता से साइबर फ्रॉड तक, हर पहलू पर खुलकर बात की. सतीश सिंह ने कहा कि अर्थ की जरूरत जन्म से मृत्यु तक है. इसका प्रबंधन हमें नहीं आता तो जीवन कभी भी मुश्किल में पड़ सकता है.
उन्होंने कहा कि इस साल आरबीआई की वित्तीय साक्षरता मुहिम की थीम है- महिलाओं की समृद्धि. ऑनलाइन फ्रॉड से बचाव की बात है, तो इसके लिए जानकारी जरूरी है. ऑनलाइन फ्रॉड में डिजिटल अरेस्ट के बाद भी नए रूप आ गए हैं. सतीश सिंह ने कहा कि आप किसी सरकारी वेबसाइट से भी कुछ बुक करते हैं, तो डेटा लीक हो जाता है. सावधान रहें, सचेत रहें और लालच ना करें.
उन्होंने साइबर फ्रॉड को लेकर कहा कि पुलिस भी इस पर लगाम लगाने के तरीकों से अनभिज्ञ है. यूपीआई से पैसे भेजते हैं, तब एक अंक के हेरफेर से भी पैसे दूसरे के पास चले जाते हैं. सतीश सिंह ने हर खाते के लिए अलग पासवर्ड, टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन को जरूरी बताया और कहा कि फ्रॉड करने वाले बड़ी कंपनियों के नाम से मिलते-जुलते नाम से वेबसाइट बनाते हैं और लोग झांसे में आ जाते हैं. उन्होंने कहा कि सही-गलत साइट की पहचान भी जरूरी है.
सतीश सिंह ने शेयर मार्केट और क्रिप्टो करेंसी को लेकर एक सवाल पर कहा कि इन सबको समझने के लिए अर्थव्यवस्था की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए. निफ्टी और सेंसेक्स, भारत में दो इंडेक्स हैं और इनमें दर्ज कंपनियों के प्रदर्शन के आधार पर ही निफ्टी-सेंसेक्स बढ़ते-घटते हैं. उन्होंने कहा कि हम शेयर मार्केट में पैसा लगा रहे हैं, तो अध्ययन करना चाहिए. सतीश सिंह ने कहा कि किसी के कहने से पैसा नहीं लगाना चाहिए. जरूरी है कि हमारी समझ हो और किसी के कहने पर पैसा न लगाएं, लालच न करें.
उन्होंने कहा कि सुकन्या समृद्धि जैसी योजनाओं में हम छोटी-छोटी बचत से बड़ी राशि बना सकते हैं. लेकिन शेयर मार्केट के साथ ऐसा नहीं है. शेयर मार्केट में भी आपको मेहनत करना चाहिए. सतीश सिंह ने कहा कि लाख-दो लाख लोग भी मेरे लेख पढ़कर कुछ बेहतर काम कर पा रहे हैं, तो मेरा जीवन और लेखन सफल रहा है. राजनीति को लेकर एक सवाल पर उन्होंने कहा कि आदर्शवादी राजनीति की कल्पना कुछ और साल तक नहीं कर पाएंगे. सत्ता में आने के लिए पार्टियां किसी भी हद तक जाने के लिए आतुर रहती हैं.
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सतीश सिंह ने कहा कि अगर आप थोड़ा भी विकास कर सकते हैं या विकास का विजन है. 2005 में बिहार की जो स्थिति थी और जो आज है, उसमें जमीन आसमान का अंतर है. सतीश सिंह ने कहा कि तमाम विसंगतियों के बाद भी जरूरी है कि हम अपना विजन रखें और जो जरूरी चीजें हैं, उनका विकास कर सकें. उन्होंने कहा कि भारतीय कानून व्यवस्था में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है. डरें नहीं, दबाव में न आएं.
उन्होंने यह भी कहा कि हम कितना कमाते हैं, ये जरूरी नहीं है. जरूरी ये जानना है कि खर्च प्रबंधन कैसे करते हैं. हर साल पांच-छह त्योहार आते हैं. सेल में हम कई गैरजरूरी चीजें भी खरीद लेते हैं, जिसकी वजह से हमारा बजट बिगड़ जाता है.