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साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10: वर्ष 2023 के ये श्रेष्ठ 'जीवनी-संस्मरण' आपको ले जाते हैं जिन हस्तियों के अतीत में

'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' पुस्तकों की शृंखला जारी है. वर्ष 2023 में कुल 17 श्रेणियों की टॉप 10 पुस्तकों में 'जीवनी-संस्मरण' श्रेणी की टॉप 10 पुस्तकों में श्रीनिवास रामानुजन, सुभाष चंद्र बोस, रजनीश, देवेंद्र सत्यार्थी, कुमार गन्धर्व, इंद्रा नूयी और राम मनोहर लोहिया के अलावा और किन पर; और किन की पुस्तकें शामिल हैं.

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'साहित्य तक: बुक कैफे टॉप 10' पुस्तकों की शृंखला जारी है. वर्ष 2023 में कुल 17 श्रेणियों की टॉप 10 पुस्तकों में 'जीवनी-संस्मरण' श्रेणी की टॉप 10 पुस्तकों में श्रीनिवास रामानुजन, सुभाष चंद्र बोस, रजनीश, देवेंद्र सत्यार्थी, कुमार गन्धर्व, इंद्रा नूयी और राम मनोहर लोहिया के अलावा और किन पर; और किन की पुस्तकें शामिल हैं. 
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शब्द की दुनिया समृद्ध हो और बची रहे पुस्तक-संस्कृति इसके लिए इंडिया टुडे समूह के साहित्य, कला, संस्कृति और संगीत के प्रति समर्पित डिजिटल चैनल 'साहित्य तक' ने पुस्तक-चर्चा पर आधारित एक खास कार्यक्रम 'बुक कैफे' की शुरुआत वर्ष 2021 में की थी... आरंभ में सप्ताह में एक साथ पांच पुस्तकों की चर्चा से शुरू यह कार्यक्रम आज अपने वृहद स्वरूप में सर्वप्रिय है.
साहित्य तक के 'बुक कैफे' में इस समय पुस्तकों पर आधारित कई कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं. इन कार्यक्रमों में 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन एक पुस्तक की चर्चा, 'शब्द-रथी' कार्यक्रम में किसी लेखक से उनकी सद्य: प्रकाशित कृति पर बातचीत और 'बातें-मुलाकातें' कार्यक्रम में किसी वरिष्ठ रचनाकार से उनके जीवनकर्म पर संवाद होता है. इनके अतिरिक्त 'आज की कविता' के तहत कविता पाठ का विशेष कार्यक्रम भी बेहद लोकप्रिय है. 
भारतीय मीडिया जगत में जब 'पुस्तक' चर्चाओं के लिए जगह छीजती जा रही थी, तब 'साहित्य तक' पर हर शाम 4 बजे 'बुक कैफे' में प्रसारित कार्यक्रमों की लोकप्रियता बढ़ती ही गई. हमारे इस कार्यक्रम को प्रकाशकों, रचनाकारों और पाठकों की बेपनाह मुहब्बत मिली. अपने दर्शक, श्रोताओं के अतिशय प्रेम के बीच जब पुस्तकों की आमद लगातार बढ़ने लगी, तो यह कोशिश की गई कि कोई भी पुस्तक; आम पाठकों, प्रतिबद्ध पुस्तक-प्रेमियों की नजर से छूट न जाए. आप सभी तक 'बुक कैफे' को प्राप्त पुस्तकों की जानकारी सही समय से पहुंच सके इसके लिए सप्ताह में दो दिन- हर शनिवार और रविवार को - सुबह 10 बजे 'किताबें मिलीं' कार्यक्रम भी शुरू कर दिया गया. यह कार्यक्रम 'नई किताबें' के नाम से अगले वर्ष भी जारी रहेगा.  
'साहित्य तक' ने वर्ष 2021 में ही पूरे वर्ष की चर्चित पुस्तकों में से उम्दा पुस्तकों के लिए 'बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला शुरू की थी, ताकि आप सब श्रेष्ठ पुस्तकों के बारे में न केवल जानकारी पा सकें, बल्कि अपनी पसंद और आवश्यकतानुसार विधा और विषय विशेष की पुस्तकें चुन सकें. तब से हर वर्ष के आखिरी में 'बुक कैफे टॉप 10' की यह सूची जारी होती है. 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' की यह शृंखला अपने आपमें अनूठी है, और इसे भारतीय साहित्य जगत, प्रकाशन उद्योग और पाठकों के बीच खूब आदर प्राप्त है. 
'साहित्य तक के 'बुक कैफे' की शुरुआत के समय ही इसके संचालकों ने यह कहा था कि एक ही जगह बाजार में आई नई पुस्तकों की जानकारी मिल जाए, तो पुस्तकों के शौकीनों के लिए इससे लाजवाब बात क्या हो सकती है? अगर आपको भी है किताबें पढ़ने का शौक, और उनके बारे में है जानने की चाहत, तो आपके लिए सबसे अच्छी जगह है साहित्य तक का 'बुक कैफे'. 
हमें खुशी है कि हमारे इस अभियान में प्रकाशकों, लेखकों, पाठकों, पुस्तक प्रेमियों का बेपनाह प्यार मिला. हमने पुस्तक चर्चा के कार्यक्रम को 'एक दिन, एक किताब' के तहत दैनिक उत्सव में बदल दिया है. वर्ष 2021 में 'साहित्य तक- बुक कैफे टॉप 10' की शृंखला में केवल अनुवाद, कथेतर, कहानी, उपन्यास, कविता श्रेणी की टॉप 10 पुस्तकें चुनी गई थीं. वर्ष 2022 में लेखकों, प्रकाशकों और पुस्तक प्रेमियों के अनुरोध पर कुल 17 श्रेणियों में टॉप 10 पुस्तकें चुनी गईं. साहित्य तक ने इन पुस्तकों को कभी क्रमानुसार कोई रैंकिंग करार नहीं दिया, बल्कि हर चुनी पुस्तक को एक समान टॉप 10 का हिस्सा माना. यह पूरे वर्ष भर पुस्तकों के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता और श्रमसाध्य समर्पण का द्योतक है. फिर भी हम अपनी सीमाओं से भिज्ञ हैं. संभव है कुछ बेहतरीन पुस्तकें हम तक पहुंची ही न हों, संभव है कुछ श्रेणियों में कई बेहतरीन पुस्तकें बहुलता के चलते रह गई हों. संभव है कुछ पुस्तकें समयावधि के चलते चर्चा से वंचित रह गई हों. पर इतना अवश्य है कि 'बुक कैफे' में शामिल ये पुस्तकें अपनी विधा की चुनी हुई 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' पुस्तकें अवश्य हैं. 
पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने की 'साहित्य तक' की कोशिशों को समर्थन, सहयोग और प्यार देने के लिए आप सभी का आभार.
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साहित्य तक 'बुक कैफे-टॉप 10' वर्ष 2023 की 'जीवनी-संस्मरण' श्रेणी की श्रेष्ठ पुस्तकें हैं-
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* 'अकथ कहानी' - प्रेमकुमार मणि

- दुनिया में सबकी एक कहानी है. सच कहा जाए तो यह दुनिया स्वयं में एक कहानी है. यह आत्मकथा उत्तर भारतीय किसान परिवार में जन्मे-पले-बढ़े एक व्यक्ति के विकास की दिलचस्प दास्तान तो है ही, साथ ही आज़ादी के बाद इस क्षेत्र में आये बदलावों का विश्वसनीय दस्तावेज़ भी है. प्रतिबद्ध सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता रहे लेखक के विचारों ने अनेक बार विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक संस्थाओं और आन्दोलनों को दिशा दी है. इसीलिए इस आत्मकथा में वह कथावाचक की भूमिका में हैं. इस तटस्थता के कारण यह उनके समय की कहानी बन जाती है. यह पुस्तक 1960 के दशक से लेकर इक्कीसवीं सदी के पहले दशक तक के लगभग 50 साल के काल-खंड की राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से भरी कहानी कहती है, जिसमें इस दौर के साहित्य जगत की हलचलें भी उझकती हैं. इन वर्णनों में जीवन व जगत के प्रति लेखक के नज़रिये में प्रौढ़ता और आत्मीयता का सहज समावेश है. नेहरू युग के पश्चात् हिंदी-समाज में आये बदलावों के अनुभव यहां भरपूर ज्ञानात्मक संवेदना के साथ उपस्थित हैं, जिसमें बाद में जयप्रकाश आन्दोलन, नक्सलवादी आन्दोलन; मण्डलवादी उथल-पुथल, भगवा अंगड़ाई सभी आते जाते हैं. पुस्तक एक समूचे कालखंड का जीवन्त और सम्यक दस्तावेज़ है, जिससे उत्तर भारत के सामाजिक-राजनीतिक और साहित्यिक जगत के इतिहास को समझने में सहायता मिलती है.
- प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
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* 'विनम्र विद्रोही: अद्वितीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की प्रामाणिक जीवनी' - भारती राठौड़ और डॉ मेहेर वान

उनकी प्रतिभा चौंकाती है, जीवन प्रेरणा देता है, और संघर्ष यह सिखाता है कि मेधा को कोई ढंक नहीं सकता. 'विनम्र विद्रोही' भारत में जन्में विलक्षण प्रतिभाशाली गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की प्रामाणिक जीवनी है, जो पहली बार हिंदी में आई है. यह रामानुजन के एक सामान्य परिवार में जन्म से लेकर कैंब्रिज में जाकर पढ़ने और गणित के अकाट्य सूत्रों को प्रस्तुत करने की कहानी है. ऐसी प्रतिभा जिस पर दुनिया अभी तक मंथन कर रही है. यह पुस्तक इसलिए भी खास है कि इससे तत्कालीन समाज, अंग्रेज़ी राज, तत्कालीन यूरोप की स्थिति और अकादमिक जगत की हलचलों का भी पता चलता है. 
- प्रकाशक: पेंगुइन रैंडम हॉउस इम्प्रिंट- हिन्द पॉकेट बुक्स
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* 'देवेंद्र सत्यार्थी: रचना-संचयन' - प्रकाश मनु

लोक साहित्य के दरवेश देवेंद्र सत्यार्थी ने दशकों पहले लोकगीतों की खोज में इस महादेश का चप्पा-चप्पा छान मारा था. लोकगीतों में उन्हें धरती का सच्चा दर्द और आवाजें सुनाई पड़ती थीं. साथ ही भारतीय जनता का सच्चा रस-उल्लास, आनंद-उत्सव, रीति-रिवाज, लोक परंपराएं, राग-विराग और सुख-दुख की वे अनकही बातें भी, जो हज़ारों हृदय में घुमड़ती थीं और फिर चुपके-चुपके किसी जनपद या ग्रामांचल के लोकगीतों में ढलकर हवा में गूंज उठती थीं. पुस्तक लोक यात्री देवेंद्र सत्यार्थी की रचनाओं का एक अनूठा संचयन-संकलन है, जिसके बहाने और जिसके साथ आप इस लोक यायावर के समय, समाज, जीवन, लोक, संस्कृति और सभ्यता के साथ ही उस कालखंड और उसकी निर्माण प्रक्रिया को भी समझ पाते हो. 
- प्रकाशक: साहित्य अकादेमी
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* 'वा घर सबसे न्यारा: पण्डित कुमार गन्धर्व जीवन चरित' - ध्रुव शुक्ल

दुनिया भर में आज भी लोग कुमार गन्धर्व के संगीत के मुरीद हैं. वे भारतीय संगीत परंपरा और इतिहास की एक महान हस्ती थे. एक ऐसे प्रश्नवाचक संगीतकार, जिनके चिन्तन और संगीत में जिज्ञासा और विनय के साथ गहरी प्रश्नाकुलता है. यह प्रश्नवाचकता कई बार उन्हें विवादग्रस्त भी करती रही पर वे अपने विचार को दृढ़ता और सांगीतिक प्रमाण के साथ प्रस्तुत करने से कभी डिगे नहीं.  इस जीवनी में कुमार गन्धर्व के बारे में जो पहले से जाना हुआ है उसे, जो कम या बिलकुल भी नहीं जाना हुआ है, उसे निरन्तरता में जोड़कर एक ऐसा जीवन वितान चित्रित हुआ है जिसमें उनका संघर्ष, सौन्दर्य-बोध, हर्ष और विषाद, विफलताएं और रसिकता सभी गुंथे हुए हैं. पुस्तक में भौतिक समय और संगीत- समय की तात्कालिकता, परम्परा के उत्खनन और नवाचार के जोखिम आदि की बहुत रोचक व्याख्याएं यथास्थान बड़े मार्मिक ढंग से उभरती हैं. कुमार गन्धर्व की जीवन-कथा संघर्ष और लालित्य की कथा तो इसमें है ही- जिसमें भारतीय आधुनिकता की अपनी मर्मकथा भी अन्तर्भूत है. पुस्तक को रज़ा फाउंडेशन के सहयोग से रज़ा पुस्तकमाला के तहत प्रकाशित किया गया है.
- प्रकाशक: सेतु प्रकाशन
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* 'एक पूरा जीवन: घर काम और हमारा कल' - इंद्रा नूयी

दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार PepsiCo की सीईओ रहीं नूयी का जीवन भी एक आम भारतीय लड़की की तरह शुरू हुआ, मगर अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने जो मकाम हासिल किया उससे हम सब परिचित हैं. उनका जन्म मद्रास - वर्तमान में चेन्नई-  में हुआ. नूयी की उच्च शिक्षा भारत में ही हुई और स्नातकोत्तर के लिए उन्होंने येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट का रुख़ किया. अमेरिका में अलग-अलग नौकरियां करने के बाद, भिन्न-भिन्न ओहदों पर पहुंचीं और 2006 से 2019 तक पेप्सिको की बागडोर संभाली. पेप्सिको की अध्यक्ष और सीईओ रहते हुए उन्होंने एक बेहद विशाल वैश्विक वर्कफोर्स को संभाला. इस काल में उन्होंने दूरदर्शी रणनीतिक सोच, उपभोक्ता व्यवहार के प्रति गहरी समझ और बुद्धिमानी का परिचय देते हुए वह स्थान हासिल किया, जो किसी के लिए भी स्वप्न सरीखा हो सकता है. अंग्रेजी में 'My Life in Full: Work, Family, and Our Future' नाम से प्रकाशित पुस्तक का हिंदी अनुवाद नीलम भट्ट और सुबोध मिश्र ने किया है. 
- प्रकाशक: पेंगुइन रैंडम हाउस इम्प्रिंट- हिन्द पॉकेट बुक्स
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* मोहन राकेश: अधूरे रिश्तों की पूरी दास्तान' - जयदेव तनेजा

- हिंदी साहित्य के चुनिंदा साहित्यकारों में से एक मोहन राकेश को 'नई कहानी आंदोलन' का नायक माना जाता है. वे अपने आत्मानुभव के आधार पर बिलकुल सहज, सरल और स्वाभाविक शब्दों में केवल इतना ही कहते हैं, 'आओ, प्यार करें, बिना ये जाने कि प्यार क्या है?' उनके लिए प्यार सीखने की नहीं, करने की कला है. राकेश के प्यार का दायरा केवल व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक मानवीय सम्बन्धों तक ही सीमित नहीं है. उनका प्यार पशु-पक्षियों, पहाड़ों, नदियों, झरनों, समुद्र तटों, पेड़-पौधों, जंगलों, चांद-सितारों, सृष्टि और प्रकृति के लघु-विराट और अनन्त रूपों तक फैला है. इस पुस्तक का विषय राकेश के जीवन में अनेक बार आया प्यार और उस प्यार की आलम्बन रही स्त्रियों से उनके आधे-अधूरे रिश्तों के ज्ञात इकतरफा सच को, अनेक स्रोतों एवं सूत्रों से प्राप्त दूसरी तरफ के अल्पज्ञात सच के बरक्स रखकर, अपेक्षाकृत पूरे सच की तलाश पर केन्द्रित है. अपनी भावनात्मक ज़रूरतों और 'घर' की तलाश में राकेश आजीवन छटपटाते-भागते रहे. कई ​स्त्रियां उनके जीवन में आईं, लेकिन फिर भी उनके जीवन का वह मूल प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाता है कि वह स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के मामले में कभी भी पूरी तरह सुखी और सन्तुष्ट क्यों नहीं हो पाए? पुस्तक में आत्मकथा, जीवनी, संस्मरण, साक्षात्कार, इतिहास, आत्मालोचना और किसी हद तक नाटक एवं कथा आदि विधाओं के भी कई तत्त्व समाहित हैं. 
 - प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
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* 'सुभाष बाबू: एक असहज करने वाले राष्ट्रवादी की अनकही कहानी' - चंद्रचूड़ घोष

- ऐसे कम ही भारतीय नायक हैं जिनका जीवन नेताजी सुभाष चंद्र बोस जितना नाटकीय और साहसिक रहा है. उनका जीवन जितना प्रेरक और देशभक्ति से परिपूर्ण रहा उतना ही गोपनीय और अबूझ भी. आम लोग सुभाष चंद्र बोस के महात्मा गांधी से मतभेद और जर्मनी व जापान की मदद से द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत को आज़ाद करवाने के प्रयासों के बारे में तो जानते हैं लेकिन अब जो सूचनाएं सामने आ रही हैं, वो बताती हैं कि उनके देश भर के क्रांतिकारियों से भी काफी गहरे संबंध थे. उन्हें अध्यात्म और खुफिया मिशन से कितना लगाव था. साथ ही, उन्होंने ब्रिटिश भारतीय सेना में विद्रोह पैदा करवाने के क्या-क्या प्रयास किए थे. प्रश्न यह है कि क्या बोस वाकई नाजियों से सहानुभूति रखते थे? उन्होंने अपनी राजनीतिक छवि दांव पर क्यों लगाई? यह पुस्तक ऐसे ही कई सवालों के जवाब देती है.  अंग्रेजी में Bose: The Untold Story of an Inconvenien के नाम से प्रकाशित इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद संदीप जोशी ने किया है.
- प्रकाशक: पेंगुइन रैंडम हाउस इम्प्रिंट- हिन्द पॉकेट बुक्स
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* 'राम मनोहर लोहिया: जीवन और व्यक्तित्व' - नीलम मिश्रा

भारतीय राजनीति में राम मनोहर लोहिया का नाम इसलिए महत्त्वपूर्ण है, कि वे एक ऐसे नेता थे, जो अपने दम पर शासन का रुख बदलने का दमखम रखते थे. वर्ष 1917 से 1947 तथा उसके बाद का कालखंड भारतवर्ष के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि इस युग में भारतीय राजनीति में कई ऐसे महापुरुषों, नायकों, विचारकों का प्रादुर्भाव हुआ, जिन्होंने अपनी कृतियों के द्वारा इतिहास में स्वर्णिम स्थान प्राप्त किया. ऐसे महापुरुषों में डॉ राम मनोहर लोहिया का नाम स्तुत्य है, जिन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में, उसके आर्थिक तथा सामाजिक उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई. लोहिया का दर्शन शाश्वत है, जो देश व काल की परिधि से ऊपर है. उनके विचारों को हम विश्व-राजनीति में परिलक्षित होते देख रहे हैं. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उनके समाजवादी आंदोलन ने जनमानस पर गहरा प्रभाव डाला है. ऐसे बहुआयामी राम मनोहर लोहिया पर यह पुस्तक पाठकों और भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी है. नीलम मिश्रा की यह पुस्तक लोहिया को जानने- समझने में मदद करती है.  
- प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन
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* 'राहुल सांकृत्यायन: अनात्म बेचैनी का यायावर' - अशोक कुमार पांडेय

- हिंदी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन की वैचारिक दृढ़ता, लेखन और घुमक्कड़ी के तमाम क़िस्से सुनते-पढ़ते हुए कई पीढ़ियों ने लिखना सीखा. जीवन में वामपंथी स्टैंड लेना हो या बौद्ध धर्म की लुप्तप्राय पांडुलिपियों के लिए दुनिया भर की ख़ाक छानते हुए भटकना; हमारे सामने एक ऐसा कठिन व्यक्तित्व उभर कर आता है जिसकी मेहनत के आगे नतमस्तक ही हुआ जा सकता है. इस जीवनी के माध्यम से लेखक ने सांकृत्यायन को उनकी बौद्धिक विकास यात्रा में समझने की कोशिश की है, जो अक्सर बाहरी है और जहां निजी है वहां भी पॉलिटिकल के स्वर सुनने की चेतन कोशिश की है. यह पुस्तक एक तरह से आलोचनात्मक जीवनी है, जो सांकृत्यायन की जीवन यात्रा को समझने में मदद करती है. यह महापंडित के अपने लिखे में से और अन्य तमाम स्रोतों से जानकारियां खंगालते हुए उनका वह मुकम्मल व्यक्तित्व सामने रखती है, जिसकी हिंदी साहित्य में सख़्त ज़रूरत थी. हिंदी का पाठक वर्ग स्त्रियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और वंचित अस्मिताओं के शामिल होने से एक बड़ा वर्ग बन चुका है, यह आलोचनात्मक जीवनी इतिहास की पुनर्रचना की राह में सबके हस्तक्षेप से एक नए आयाम रचती है.
 - प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
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* 'मेरे प्रिय आत्मन्: रजनीश के जीवन पर एक नई दृष्टि' - सुशोभित

- इस युग में देवताओं की
जो सबसे बड़ी साज़िश है,
उसका नाम रजनीश है!...ओशो के बारे में अमृता प्रीतम 'मन मिर्ज़ा तन साहिबां' के यह विचार हैं. भारतीय दार्शनिक, विचारक, धर्मगुरु, चिंतक, प्रवक्ता, उद्घोषक, मार्गदर्शक 'ओशो', जिन्हें क्रमशः भगवान श्री रजनीश, ओशो, आचार्य रजनीश या केवल रजनीश के नाम से जाना जाता है, आधुनिक युग के सबसे विवादास्पद और प्रखर मेधा से भरे भारतीयों में से एक थे. रजनीश अमेरिका क्यों गए थे? वो स्त्री कौन थी जो छाया की तरह उनके साथ रहती थी? उनके पूर्वजन्म की मां और प्रेमिका उन्हें इस जन्म में कैसे मिलीं? उन्होंने ख़ुद को भगवान क्यों कहा? शीला ने आश्रम क्यों छोड़ा और लक्ष्मी को आश्रम से क्यों निष्कासित किया गया? यह पुस्तक इन सवालों के जवाब खोजने के साथ ही ओशो के से जुड़े कई अन्य जरूरी संदर्भों की भी पड़ताल करती है. लेखक ने रजनीश प्रेमी होने के बावजूद वस्तुनिष्ठता से उनके जीवन चिंतन के अनेक आयामों का अवलोकन किया है और उन पर एक प्रासंगिक विवेचना प्रस्तुत की है, जो इस विवादास्पद किंतु विलक्षण गुरु के बारे में नई समझ बनाती है.
- प्रकाशक: हिन्द युग्म
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वर्ष 2023 के 'साहित्य तक बुक कैफे टॉप 10' में शामिल सभी पुस्तक लेखकों, प्रकाशकों, अनुवादकों और प्रिय पाठकों को बधाई!

 

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