scorecardresearch
 

'फेक' लोगों की रियल पड़ताल करती एक किताब

नीरज बधवार की व्यंग्य रचनाएं राष्ट्रीय समाचार पत्रों में पढ़ने को मिलती ही रहती हैं जो हमेशा सोचने को, चिंतन करने को, उनपर टिप्पणी करने पर विवश करती हैं. यही है एक असरदार व्यंग्यकार की पहचान. नीरज का हर व्यंग्य दिल के दरवाजे पर दस्तक देता है. उनकी इस प्रतिष्ठा पर खरी उतरती है 'हम सब फेक है'

Advertisement
X

पुस्तक – हम सब fake हैं
लेखक – नीरज बधवार
प्रकाशक- प्रभात प्रकाशन
कीमत- 125 रुपये

नीरज बधवार की व्यंग्य रचनाएं राष्ट्रीय समाचार पत्रों में पढ़ने को मिलती ही रहती हैं जो हमेशा सोचने को, चिंतन करने को, उनपर टिप्पणी करने पर विवश करती हैं. यही है एक असरदार व्यंग्यकार की पहचान. नीरज का हर व्यंग्य दिल के दरवाजे पर दस्तक देता है. उनकी इस प्रतिष्ठा पर खरी उतरती है 'हम सब फेक है'

इस संग्रह की हर कथा में निहित व्यंग्य मर्मस्पर्शी है. वास्तविक ठोस धरातल पर आधारित हर कथा का व्यंग्य कहीं ना कहीं ऐसा लगता है मानों हमारे ही साथ घटी कोई घटना हो. व्य्ंग्य रचना के माध्यम से देश, समाज और नितांत व्यक्तिगत जीवन के उतार-चढ़ावों को अभिव्यक्त किया गया है. रचना के विषय बेहद अनूठे हैं. कुछ विषय नितांत नवीन हैं और कुछ पुराने विषय नए कलेवर में हैं और आकर्षित करते हैं. संग्रह में कुल 75 कथाएं हैं. प्रत्येक रचना में मन में प्रश्नचिन्ह जगा देने वाले संदेश हैं.

नीरज ने व्यंग्य के माध्यम से समाज की सच्चाईयों को उजागर किया है. मुखौटा लगाए हुए किरदारों को बड़ी खूबी से उजागर किया है नीरज ने. विषयों पर नीरज की अच्छी पकड़ है. हालांकि व्यंग्य रचना की कथाओं की संख्या कम करके कुछ रचनाओं को विस्तार दिया जा सकता था. नीरज के वयंग्य बड़े सटीक और मर्यादित हैं, खोखली बयानबाजी नहीं है बल्कि समाज का आईना दिखाने का काम करते हैं सभी वयंग्य लेख.

Advertisement

व्यंग्य रचना 'मुक्त मोबाइल की दूरगामी सोच' सरकार और सरकार की नीतियों पर करारा व्यंग्य है. मोबाइल का मुफ्त बांटना और गरीब किसान का भूखों मरना कैसी विसंगति है? 'रचनात्मकता का गौरव और धंधेबाज का स्वार्थ' व्यंग्य हमारी आंखें खोल देने के लिए पर्याप्त है कि कैसे हम हर काम में सिर्फ सौदेबाजी पर ध्यान देते हैं और उसकी महत्ता को भुला देते हैं.

लेखक नीरज के शब्दों में 'जब फिल्म का टोटल कलेक्शन ही उसकी एक मात्र समीक्षा हो जाए तो कलाकार भी कला को नया आयाम देने के बजाए कमाई को नए आयाम देने में लग जाता है. सच खेल और कला का सिर्फ धंधा हो जाना किसी भी देश के सौन्दर्य की मौत है.'

'एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा' में इंसान से जानवर बनने की मानसिकता को उजागर किया है कि कैसे हमें अक्सर झगड़े देखने में आनन्द आता है लेकिन बात जब सुलह कराने की हो तो हम जानवरों की तरह पीछे हट जाते हैं 'आखिर इंसान मूलत: है तो जानवर ही, जो सभ्य बनने की कोशिश कर रहा है, कभी-कभार झगड़ा देख मनोरंजन करना चाहे तो क्या बुराई है' उपरोक्त वाक्य द्वारा आज के इंसान की आत्म केन्द्रित होने की प्रक्रिया को नीरज ने हमारे सामने प्रकट किया है.

Advertisement

नीरज की भाषा और अभिव्यक्ति की शैली नितांत अपनी है. नीरज की विशेषता यह है कि वह किसी से प्रभावित नहीं लगते. पाठक एक ही कथा पर रुकेगा नहीं बल्कि चार छह कथाओं को एक साथ उत्सुकता के साथ पढ़ डालेगा. हर कथा का व्यंग्य उसे बांधे रखने में सक्षम है. अपार संभावनाएं हैं नीरज से कि ऐसी ही उत्कृष्ट व्यंग्य रचनाओं से जन मानस को झकझोर कर उनकी सुप्त चेतना को जागृत करेंगे और मुखौटे उतारकर सच्चाई का सामना करने का हौसला देंगे.

Advertisement
Advertisement