e-साहित्य आजतक के तीसरे दिन राजनेता और भोजपुरी सिंगर/एक्टर मनोज तिवारी इस इवेंट का हिस्सा बने. एंकर श्वेता सिंह से बातचीत में मनोज तिवारी ने अपने गाने, स्कूल के दिनों, स्ट्रगल के दिनों, प्रवासी मजदूरों और भोजपुरी सिनेमा में करियर बनाने के बारे में बात की.
सिनेमा में आकार सब हो जाता है कम
मनोज तिवारी ने कहा कि उनकी तरह निरहुआ, खेसारी लाल यादव आदि भोजपुरी सिंगर्स पहले थे और बाद में सिनेमा में गए. अगर आप देखें तो एल्बम में गाने के बाद जब कोई सिनेमा में जाता है तो थोड़ा नीचे हो जाता है. मनोज ने कहा, 'सिनेमा में दूसरे लोग लिखने वाले आते हैं, हमारे टाइप का वो नहीं होता. एल्बम के लेवल का गीत सिनेमा में नहीं बन पा रहा है. हम जो एल्बम के लिए बनाते हैं वो सिनेमा में थोड़ा कम ही रह जाता है.'
प्रवासी नहीं निवासी हैं मजदूर
मनोज तिवारी ने कहा कि मैं उन्हें प्रवासी नहीं निवासी मजदूर कहूंगा. वो मुंबई के निवासी है, वोटर हो गए हैं. दिल्ली के निवासी मजदूर हैं. ये जो दृश्य देखा बहुत दुखद था. माइग्रेशन का दर्द जो है वो हमने देखा. ये वो लोग हैं जो (गांव से) निकले तो वहां काम करते रह गए. फिर एक ऐसा संकट आया कि उन्हें फिर गांव याद आया. लेकिन जो भी हुआ है बड़ा तकलीफ दायक था. हमें ये दृश्य बहुत कुछ विचार करने के लिए मजबूर करता है.
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लॉकडाउन में की दौड़भाग
e-साहित्य आजतक में मनोज तिवारी ने बताया कि वे लॉकडाउन में खूब भागदौड़ कर रहे हैं. उन्होंने कहा- हम लॉकडाउन में भागदौड़ में लगे रहे. फीड द नीडी के जरिए हम जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं, जिसमें खूब भागना पड़ा है. हम दिन में 4-5 घंटे भागदौड़ करते हैं और शाम को बैडमिंटन और क्रिकेट की प्रैक्टिस कर लेते हैं. इससे हमारी एक्सरसाइज हो जाती है, जिससे लॉकडाउन हटे तो हम फिल्म में काम करें.