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ग्रीन टी पीने से प्रभावित होती है प्रजनन क्षमता

ग्रीन टी के उचित सेवन से स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव होता है, वहीं इसका अत्यधिक सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है.

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ग्रीन टी पीना हो सकता है नुकसानदेह
ग्रीन टी पीना हो सकता है नुकसानदेह

अगर आप ग्रीन टी पीने के शौकीन हैं तो ये खबर आपको डरा सकती है. ग्रीन टी पीने के शौकीनों को हिदायत देते हुए वैज्ञानिकों ने कहा है कि इसकी वजह से प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. आमतौर पर ग्रीन टी, सामान्य चाय की तुलना में स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती है लेकिन एक इस शोध से सामने आया है कि इसके लगातार सेवन से प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

कैलिफोर्निया-इरविन यूनिवर्सिटी के एक दल ने फ्रूट फ्लाइस (फल मक्खियों) पर किए गए परीक्षण में पाया कि ग्रीन टी की अत्यधिक खपत से उनका विकास और प्रजनन क्षमता प्रभावित हुई है.

वैज्ञानिकों के अनुसार, 'ग्रीन टी की बढ़ती लोकप्रियता इसका सेवन करने वालों की संख्या को लगातार बढ़ा रही है जो कि गलत है. ग्रीन टी या फिर अन्य किसी प्राकृतिक उत्पाद का अत्यधिक सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है.'

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फार्मास्युटिकल साइंसेज के महताब जाफरी के अनुसार, 'ग्रीन टी के उचित सेवन से स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव होता है, वहीं इसका अत्यधिक सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है.'

उन्होंने बताया कि कोई ठोस निर्णय देने से पहले अभी हमें इस शोध पर काफी काम करना है लेकिन हमारा सुझाव है कि इसका कम मात्रा में सेवन करना चाहिए.

वैज्ञानिकों ने ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर फ्रूट फ्लाई पर ग्रीन टी के हानिकारक प्रभावों का परीक्षण किया. उन्होंने देखा कि जिन मक्खियों के लार्वा और भ्रूण ग्रीन टी पॉलीफिनाल्स (एंटी ऑक्सीडेंट) की विभिन्न खुराकों के अधीन थे उनकी संतानों में धीमी गति का विकास और अजीब से बदलाव हुआ.

जाफरी का मानना है कि ग्रीन टी की उच्च खुराक की वजह से कोशिकाएं मरने लगती हैं.

उन्होंने बताया, 'केमेलिया सिनेसिस से उत्पन्न ग्रीन टी पूरी दुनिया में अपने गुणों के लिए मशहूर है. लेकिन जब इसका परीक्षण चूहों और कुत्तों पर किया गया तो ग्रीन टी की अधिक मात्रा से उनका वजन कम हो गया और भ्रूण का विकास भी प्रभावित हुआ.'

'हम ग्रीन टी और अन्य प्राकृतिक उत्पादों की उचित मात्रा की जानकारी के लिए मक्खियों पर परीक्षण की तैयारी कर रहे हैं. इसके बाद हम मानवों के लिए इसकी सही और उचित खुराक को बताने में सक्षम हो जाएंगे.'

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यह अध्ययन 'फंक्शनल फूड्स' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.
इनपुट: IANS

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