उत्तर भारत के लगभग हर पर्वतीय इलाके में इस बार जबर्दस्त बर्फबारी हुई, इसके बावजूद पर्यटक घूमने का आकर्षण नहीं छोड़ सके. ऐसे में माता वैष्णो देवी के दर्शनार्थी भला कहां पीछे रहने वाले थे. श्रद्धालुओं ने बर्फबारी के बीच ही माता के दरबार में हाजिरी लगाई और जयघोष किया, 'प्रेम से बोलो जय माता दी.....'
जम्मू-कश्मीर में अवस्थित माता वैष्णो देवी देश के प्रमुख धर्मस्थलों में एक है, जहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
त्रिकूट पर्वत पर गुफा में माता वैष्णो देवी का दरबार है, जहा दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
माता के दरबार में आदिशक्ति के तीन रूप हैं- पहली महासरस्वती, जो ज्ञान की देवी हैं. दूसरी महालक्ष्मी, जो धन-वैभव की देवी है. तीसरी महाकाली या दुर्गा, जो शक्ति स्वरूपा मानी जाती हैं.
वैष्णो देवी की महिमा का अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2011 में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए जम्मू पहुंचे.
पिछले साल 1.17 करोड़ से भी अधिक श्रद्धालु जम्मू पहुंचे, जिनमें एक करोड़ लोग सिफ वैष्णो देवी के दर्शन को गए.
इस साल भारी बर्फबारी भी वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा नहीं रोक पाई.
जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही बर्फबारी के बावजूद वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा जारी है.
माता वैष्णो देवी मंदिर और इससे लगे इलाकों में बर्फबारी जारी है.
चार से पांच इंच तक बर्फबारी होने के चलते बहुत ठंड पड़ रही है.
त्रिकूटा पहाड़ी स्थित मंदिर और इससे लगे इलाके में मौसम की पहली बर्फबारी छह जनवरी को हुई थी.
ठंड के बावजूद यात्रा सुगमता से जारी है और ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु अब भी मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं.
हालांकि बर्फबारी के चलते श्रद्धालुओं के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं रोक दी गईं.
माता वैष्णो देवी के पवित्र मंदिर के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं ने पहाड़ियों में पवित्र गुफा के आसपास अत्यधिक ठंड और हिमपात के बावजूद यात्रा जारी रखी.
हालांकि बीच में कभी-कभार पवित्र गुफा के आसपास और मार्ग में भारी हिमपात होने के कारण अत्यधिक ठंड पड़ने लगी थी, जिसकी वजह से यात्रा रोकनी पड़ी थी.
फिलहाल यात्रा निर्बाध चल रही है और श्रद्धालुओं को कोई समस्या नहीं है.
पवित्र गुफा के आसपास भारी हिमपात होने के बाद ठंड बहुत ज्यादा हो गई है. छह जनवरी को मंदिर और इसके आसपास पहाड़ियों में मौसम का पहला हिमपात हुआ था.
तीव्र शीतलहर के बावजूद श्रद्धालु आगे बढ़ते रहते हैं.
ज्यादा मुश्किल होने पर कटरा बेस कैंप से आगे बढ़ने की अनुमति किसी को नहीं दी जाती है.
कैसे पहुंचें वैष्णो देवी:
माता वैष्णो देवी की यात्रा का पहला पड़ाव जम्मू ही होता है. जम्मू तक बस, टैक्सी, ट्रेन या फिर हवाई जहाज से पहुचा जा सकता है. जम्मू ब्रॉडगेज लाइन द्वारा जुड़ा है.
गर्मियों में वैष्णो देवी जाने वाले यात्रियों की संख्या में अचानक वृद्धि हो जाती है, इसलिए यात्रियों की सुविधा के लिए दिल्ली से जम्मू के लिए विशेष ट्रेनें भी चलाई जाती हैं.
जम्मू भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 ए पर स्थित है. अत: यदि आप बस या टैक्सी से भी जम्मू पहुंचना चाहते हैं, तो भी कोई परेशानी की बात नहीं है.
माता के भवन तक की यात्रा की शुरुआत कटरा से होती है. कटरा जम्मू जिले का एक कस्बा है. जम्मू से कटरा की दूरी लगभग 50 किमी है.
जम्मू रेलवे स्टेशन से कटरा के लिए बसें आसानी से मिल जाती हैं, जिनसे 2 घंटे में ही कटरा पहुचा जा सकता है. कटरा से ही माता के दर्शन के लिए नि:शुल्क 'यात्रा पर्ची' मिलती है.
पर्ची लेने के बाद ही कटरा से वैष्णो माता के दरबार तक की चढ़ाई की शुरुआत की जाती है.
कटरा समुद्रतल से करीब 2500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. कटरा से 12 किमी की चढ़ाई पर माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा है.
वायुमार्ग: माता वैष्णो देवी के दर्शन हेतु सबसे पास हवाई अड्डे जम्मू और श्रीनगर के हैं.
रेलमार्ग: रेल मार्ग से वैष्णो देवी पहुंचने के लिए जम्मूतवी, पठानकोट और अमृतसर प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं, जहां से कटरा सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है.
सड़क मार्ग: वैष्णो देवी के दर्शन हेतु श्रीनगर, जम्मू, अमृतसर से कटरा पहुंचा जा सकता है. जम्मू से कटरा- 48 किलोमीटर, कटरा से वैष्णो देवी- पैदल 14 किलोमीटर, दिल्ली से कुल दूरी- 663 किमी है.
मान्यताएं: हिन्दू पौराणिक मान्यताओं में जगत में धर्म की हानि होने और अधर्म की शक्तियों के बढऩे पर आदिशक्ति के सत, रज और तम तीन रूप महासरस्वती, महालक्ष्मी और महादुर्गा ने अपनी सामूहिक बल से धर्म की रक्षा के लिए एक कन्या प्रकट की.
यह कन्या त्रेतायुग में भारत के दक्षिणी समुद्री तट रामेश्वर में पण्डित रत्नाकर की पुत्री के रूप में अवतरित हुई. कई सालों से संतानहीन रत्नाकर ने बच्ची को त्रिकुता नाम दिया, परन्तु भगवान विष्णु के अंश रूप में प्रकट होने के कारण वैष्णवी नाम से विख्यात हुई.
यह भारत में तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर (तिरुपति बालाजी) के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थस्थल है.
इस मंदिर की देखरेख श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ मंडल द्वारा की जाती है.
तीर्थयात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए उधमपुर से कटरा तक एक रेल संपर्क बनाया जा रहा है.
माता वैष्णो देवी की यात्रा का बीच का पड़ाव अर्धकुंआरी है. यहां पर एक संकरी गुफा है.
मान्यता है कि इसी गुफा में बैठकर माता ने 9 माह तप कर शक्ति प्राप्त की थी. इस गुफा में गुजरने से हर भक्त जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है.
सांझी छत वैष्णो देवी दर्शन यात्रा का ऐसा स्थान है, जो ऊंचाई पर स्थित होने से त्रिकूट पर्वत और उसकी घाटियों का नैसर्गिक सौंदर्य दिखाई देता है.
इसे दिल्ली वाली छबील भी कहा जाता है.
माता के दर्शन करने वाले श्रद्धालु भैरव मंदिर जाना नहीं भूलते.
यह मंदिर माता रानी के भवन से भी लगभग डेढ़ किलोमीटर अधिक ऊंचाई पर स्थित है.
ऐसा माना जाता है कि माता द्वारा भैरवनाथ को दिए वरदान के अनुसार यहां के दर्शन किए बिना वैष्णों देवी की यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है.
बर्फबारी के बीच माता के दरबार में पहुंचने का उत्साह श्रद्धालुओं में खूब दिखा.
हर अवस्था के लोग बर्फबारी के बीच जय माता दी के नारे लगाए नजर आए.
लोगों के उत्साह के सामने ठंड तो एकदम बौना पड़ता दिखा.
भक्तों के उत्साह के आगे मानो ठंड ने ही हार मान ली.
माता के दरबार का रास्ता हर ओर से बर्फ से ढका नजर आया.
तमाम मुश्किलों से पार पाकर लोग माता के दरबार में हाजिरी लगाया करते हैं.
कहते हैं कि लोग बुलावा आने पर ही वैष्णो देवी के दर्शन कर पाते हैं.
जो कोई एक बार माता के दर्शन कर लेता है, वह यहां बार-बार आना चाहता है.
यहां सभी धर्म के लोग मिल-जुलकर श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर रहते हैं.