नन्हीं नन्हीं खुशियों में बसा है
हर लड़की का सपना
छोटी छोटी बातों में मिल जाए जग की खुशी
ना मांगे हीरे और मोती
मांगे थोड़ा प्यार
क्यों करते हो नफरत बेटी से
नन्हीं नन्हीं खुशियों में बसा हैहर लड़की का सपना
कोई है अपना जो खुद गम देता है
हर सपने को तोड़ वो देता है
ना मांगे हीरा मोती
मांगे है थोड़ी सी इज्जत
क्यों करते हो नफरत बेटी से
नन्हीं नन्हीं खुशियों में बसा है
हर लड़की का सपना
ये कविता हमें लुधियाना से पूजा दीपू ठाकुर ने भेजी है.